आईटीएस इंजीनियरिंग कॉलेज में “भगवद गीता से तनाव प्रबंधन” पर प्रेरणादायक सत्र, पांडव सखा प्रभुजी ने दिए आध्यात्मिक जीवन के सूत्र
- वृंदावन चंद्रोदय मंदिर के युथ एम्पावरमेंट क्लब प्रमुख ने छात्रों को तनावमुक्त जीवन के लिए गीता ज्ञान से जोड़ा
ग्रेटर नोएडा स्थित आई.टी.एस. इंजीनियरिंग कॉलेज में “भगवद गीता के माध्यम से दैनिक जीवन में तनाव प्रबंधन” विषय पर एक अत्यंत प्रेरणादायक और प्रभावशाली सत्र का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में वृंदावन चंद्रोदय मंदिर के युथ एम्पावरमेंट क्लब के प्रमुख पांडव सखा प्रभुजी आमंत्रित किए गए।
कॉलेज के निदेशक डॉ. मयंक गर्ग ने कार्यक्रम की शुरुआत प्रेरणादायक भाषण के साथ की और छात्रों को जीवन में आध्यात्मिक संतुलन के महत्व से अवगत कराया। इसके पश्चात कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के डीन डॉ. विष्णु शर्मा ने पांडव सखा प्रभुजी का परिचय देते हुए कहा कि आज के कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के युग में छात्रों के लिए आध्यात्मिकता का मार्गदर्शन अत्यंत आवश्यक हो गया है।
पांडव सखा प्रभुजी ने अपने व्याख्यान में बताया कि कैसे भगवद गीता के शाश्वत सिद्धांत आधुनिक जीवन की जटिलताओं और मानसिक तनाव से निपटने में सहायक सिद्ध होते हैं। उन्होंने बताया कि अर्जुन जैसे महान योद्धा भी जब जीवन के सबसे कठिन मोड़ पर थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता के माध्यम से जो मार्गदर्शन दिया, वह आज भी प्रासंगिक है।
प्रभुजी ने छात्रों को ध्यान, सत्संग, और सकारात्मक जीवन दृष्टिकोण अपनाने की प्रेरणा दी और कहा कि केवल तकनीकी ज्ञान से नहीं, बल्कि आत्मिक ज्ञान से ही एक संपूर्ण व्यक्तित्व का विकास संभव है। उन्होंने यह भी साझा किया कि कैसे उन्होंने कंप्यूटर साइंस में बी.टेक की डिग्री लेने के बाद, अक्षय पात्र फाउंडेशन में सेवा की और फिर श्रील प्रभुपाद की शिक्षाओं से प्रभावित होकर वृंदावन चंद्रोदय मंदिर में पूर्णकालिक मिशनरी के रूप में सेवा को अपनाया।
कार्यक्रम के अंत में कॉलेज प्रशासन ने पांडव सखा प्रभुजी को आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि ऐसे सत्र न केवल छात्रों की मानसिक स्थिति को सुदृढ़ करते हैं, बल्कि उन्हें जीवन के गहरे अर्थ से भी परिचित कराते हैं।
छात्रों ने भी इस सत्र को अत्यंत लाभकारी बताया और जीवन में गीता के ज्ञान को आत्मसात करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
यह आयोजन न केवल एक शैक्षणिक सत्र था, बल्कि आत्मविकास की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम भी सिद्ध हुआ।