गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में “सिद्धं कैलीग्राफी” प्रदर्शनी का भव्य उद्घाटन
- तीन दिवसीय आयोजन में भारत-पूर्वी एशिया सांस्कृतिक सेतु की झलक
ग्रेटर नोएडा। 15 अप्रैल, 2025।
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के ज्योतिबा फुले ध्यान केंद्र में मंगलवार को तीन दिवसीय “सिद्धं कैलीग्राफी – रूप-ब्रह्म की अभिव्यक्ति” प्रदर्शनी का उद्घाटन कुलपति प्रो. राणा प्रताप सिंह एवं इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कॉन्फेडरेशन के डिप्टी सेक्रेटरी जनरल वें. लामा छोपेल ज़ोत्पा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन के साथ किया।
इस विशेष प्रदर्शनी का आयोजन विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन एवं सभ्यता विभाग द्वारा इंटरनेशनल सेंटर फॉर कल्चरल स्टडीज (ICCS) और तत्वम फाउंडेशन के सहयोग से किया गया है।
प्रदर्शनी के क्यूरेटर वें. भिक्षु दो-वूंग ने सिद्धं लिपि की ऐतिहासिक यात्रा, मंत्र परंपरा में इसकी भूमिका और पूर्वी एशियाई देशों में इसकी प्रतिष्ठा पर प्रकाश डाला। उन्होंने इसे “संस्कृति विनिमय का जीवंत सेतु” बताया।
कुलपति प्रो. राणा प्रताप सिंह ने कहा, “लेखन कला मानव सभ्यता की आत्मा है। सिद्धं जैसी लिपियाँ हमारे बौद्धिक एवं आध्यात्मिक इतिहास की अमूल्य धरोहर हैं।”
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं बौद्ध अध्ययन विभाग की अधिष्ठाता प्रो. श्वेता आनंद ने कहा कि “यह प्रदर्शनी नई शिक्षा नीति 2020 के तहत भारतीय ज्ञान प्रणाली को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
प्रदर्शनी की प्रमुख विशेषताएँ
सिद्धं लिपि में दुर्लभ मंत्रों और सूत्रों की आकर्षक कैलीग्राफी
जापान के होर्यूजी मठ से ‘उनिशा विजया धारणी’ और ‘प्रज्ञापारमिताहृदय सूत्र’ की प्रतिकृतियाँ
अलबरूनी और चीनी बौद्ध यात्री ई-चिंग के यात्रा वृतांतों में सिद्धं लिपि की वैश्विक छवि का उल्लेख
“कला और अध्यात्म में सिद्धं” विषय पर संवाद सत्र
डॉ. चिंताला वेंकट शिवसाई ने आयोजन को “भारतीय सांस्कृतिक कूटनीति का एक सशक्त उदाहरण” बताया। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. अरविंद कुमार सिंह ने कहा, “यह आयोजन प्राचीन भारत के लिपिगत ज्ञान को समकालीन कला के माध्यम से पुनः जीवंत करता है।”
प्रदर्शनी 17 अप्रैल तक आम दर्शकों के लिए खुली रहेगी। उद्घाटन समारोह में विश्वविद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक, शोधार्थी, भिक्षु, कलाकार एवं आम नागरिकों की उपस्थिति ने इसे एक सांस्कृतिक उत्सव का रूप दे दिया।