भारत में कैंसर जीन थेरेपी में लाएंगे क्रांति: शारदा विश्वविद्यालय और मेडथेरेपी बायोटेक्नोलॉजी के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर
ग्रेटर नोएडा।
शारदा विश्वविद्यालय ने कैंसर के उपचार और अनुसंधान में एक नई दिशा में कदम बढ़ाते हुए मेडथेरेपी बायोटेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता भारत में अत्याधुनिक जीन थेरेपी—विशेष रूप से CAR-T सेल थेरेपी—को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से किया गया है।
मेडथेरेपी, जो कैंसर जीन थेरेपी (CGT) में वैश्विक अग्रणी मानी जाती है और जिसका मुख्यालय अमेरिका के बोस्टन में स्थित है, 2018 में हार्वर्ड मेडिकल स्कूल, हार्वर्ड बिजनेस स्कूल और नोवार्टिस से जुड़े विशेषज्ञों द्वारा स्थापित की गई थी। कंपनी कम लागत और कम जटिलता वाली अगली पीढ़ी की जीन थेरेपी तकनीकों के विकास में अग्रसर है।
समझौते के अवसर पर शारदा स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज़ एंड रिसर्च की डीन डॉ. निरुपमा गुप्ता ने कहा, “यह साझेदारी हमारे संकाय, छात्रों और चिकित्सकों के लिए एक रोमांचक कदम है। यह कैंसर जैसी जटिल बीमारियों से निपटने के लिए शिक्षा, अनुसंधान और नैदानिक देखभाल का आदर्श उदाहरण है।”
शारदा केयर हॉस्पिटल के वरिष्ठ सलाहकारों और विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. विवेक कुमार गुप्ता ने भी इस पहल को सराहा और कहा कि “यह सहयोग स्वास्थ्य सेवा नवाचार को गति देगा तथा अकादमिक-उद्योग साझेदारी का आदर्श प्रस्तुत करेगा।”
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के डीन रिसर्च डॉ. भुवनेश कुमार और प्रो-वाइस चांसलर डॉ. परमानंद ने भी अपने विचार व्यक्त किए। डॉ. भुवनेश कुमार ने इसे “केवल एक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि नवाचार, मार्गदर्शन और सामाजिक प्रभाव का वादा” बताया।
मेडथेरेपी के प्रबंध निदेशक डॉ. संजय सिंह ने कहा, “हम कैंसर के इलाज के भविष्य को पुनर्परिभाषित कर रहे हैं। शारदा विश्वविद्यालय के साथ यह सहयोग हमें स्थानीय विशेषज्ञता और संसाधनों से जोड़ता है, जिससे वैश्विक स्तर पर तेज़, सुलभ और सस्ते उपचार की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें।”
यह साझेदारी न केवल भारत में कैंसर के इलाज में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी, बल्कि देश को जीन थेरेपी जैसे उन्नत उपचारों में आत्मनिर्भर भी बनाएगी।