केसीसी नेशनल लॉ फेस्टिवल 2025 का भव्य समापन: विधि छात्रों ने दिखाई कानूनी प्रतिभा, महाराजा सूरजमल की टीम रही अव्वल
ग्रेटर नोएडा। केसीसी इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल एंड हायर एजुकेशन में 4 और 5 अप्रैल को आयोजित केसीसी नेशनल लॉ फेस्टिवल 2025 का भव्य और सफल समापन हुआ। इस दो दिवसीय कानूनी महोत्सव ने देशभर के विधि छात्रों, विशेषज्ञों और न्यायविदों को एक साथ लाकर कानून की व्यापक समझ को बढ़ावा देने का कार्य किया।
फेस्टिवल का शुभारंभ 4 अप्रैल को सुबह 11:30 बजे हुआ, जिसमें न्यायपालिका और विधि क्षेत्र की कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने हिस्सा लिया। उद्घाटन सत्र में न्यायमूर्ति रविंद्र सिंह, न्यायमूर्ति सुधीर कुमार सक्सेना, न्यायमूर्ति जाकी उल्लाह खान, न्यायमूर्ति रेखा पिल्लई, इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ ज्यूरिस्ट (लंदन) के अध्यक्ष डॉ. आदिश सी. अग्रवाला, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता पराग पी. त्रिपाठी, आरएमएलएनएलयू लखनऊ के कुलपति प्रो. (डॉ.) अमर पाल सिंह, सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड विवेक नारायण शर्मा और विधि सलाहकार प्रवीण शर्मा सहित अन्य विशेषज्ञ उपस्थित रहे।
फेस्टिवल के दौरान मूट कोर्ट प्रतियोगिता, पैनल चर्चा, विशेष व्याख्यान और कानूनी संगोष्ठियों का आयोजन किया गया। देशभर से आई विधि संस्थानों की टीमों ने मूट कोर्ट में हिस्सा लिया, जहां उनकी कानूनी सोच, तर्कशक्ति और प्रस्तुति कौशल की परीक्षा ली गई। प्रतियोगिता में TKCC07 महाराजा सूरजमल इंस्टीट्यूट की टीम ने शानदार प्रदर्शन कर प्रथम स्थान हासिल किया और ₹75,000 की पुरस्कार राशि अपने नाम की।
पैनल डिस्कशन और व्याख्यानों में साइबर लॉ, पर्यावरण कानून, न्यायिक सुधार और विधिक शिक्षा की वर्तमान दिशा जैसे विषयों पर चर्चा हुई। इन सत्रों में डॉ. संगीता लाहा (एनयूएसआरएल), डॉ. पाद्मिनी सिंह (कानून मंत्रालय), डॉ. शिवराज सिंह तोमर (एमिटी), डॉ. शुभांगी तिवारी (एनएलयू भोपाल), डॉ. अतुल कुमार पांडेय (बीएचयू), डॉ. रचना कौल (जीएल बजाज) समेत कई शिक्षाविदों ने विचार साझा किए।
समापन समारोह में विजेताओं को सम्मानित किया गया और सभी अतिथियों व प्रतिभागियों को आयोजकों द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। मुख्य अतिथियों ने इस आयोजन को विधि छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी बताते हुए भविष्य में भी ऐसे आयोजनों की आवश्यकता पर बल दिया।
केसीसी नेशनल लॉ फेस्टिवल 2025 न केवल विधि शिक्षा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हुआ, बल्कि छात्रों को न्यायिक प्रक्रिया की व्यावहारिक जानकारी और विशेषज्ञों से संवाद का दुर्लभ अवसर भी प्रदान किया। इस आयोजन ने यह प्रमाणित किया कि भारत में विधिक जागरूकता बढ़ाने और युवा विधि प्रतिभाओं को मंच देने के लिए ऐसे फोरम अत्यंत आवश्यक हैं।