मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नाथपंथ और भारतीय ज्ञान परंपरा पर राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित किया
गोरखपुर, 25 मार्च: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारतीय ज्ञान परंपरा और नाथपंथ की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा ने भौतिकता का अतिक्रमण कर ब्रह्मांड के रहस्यों को खोजने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि नाथपंथ की सिद्ध साधना पद्धति ने इसी आध्यात्मिक परंपरा को आगे बढ़ाया है, जो तिब्बत से लेकर श्रीलंका, इंडोनेशिया और अफगानिस्तान तक फैली हुई है। मुख्यमंत्री ने इस पर जोर दिया कि नाथपंथ के चिह्नों और अवशेषों को डिजिटल रूप में संजोने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य की पीढ़ियों को भारतीय साधना पद्धतियों का ज्ञान मिल सके।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने नाथपंथ से जुड़े चिह्नों और अवशेषों को संजोने में गोरखपुर विश्वविद्यालय के महायोगी गुरु गोरखनाथ शोध पीठ और योगिराज बाबा गंभीरनाथ शोध पीठ की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा कि महायोगी गोरखनाथ ने नाथपंथ की साधना पद्धति को सभी जातियों, क्षेत्रों और लिंगों के लिए सुलभ बनाया और गोरखपुर को अपनी साधना स्थली बनाकर यहां की पहचान बना दी। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अगर समय रहते हम अपनी इस अद्भुत विरासत को संजोने में सफल नहीं हुए, तो हमें भविष्य में योग और साधना पद्धतियों को लेकर संघर्ष करना पड़ सकता है।
महायोगी गोरखनाथ और बाबा गंभीरनाथ के योगदान पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री ने कहा:
योगिराज बाबा गंभीरनाथ के कार्यों को बताते हुए उन्होंने कहा कि बाबा गंभीरनाथ ने नाथपंथ की साधना का उपयोग लोक कल्याण के लिए किया। उन्होंने विज्ञान की सीमाओं को पार करते हुए असंभव कार्यों को साधना के माध्यम से पूरा किया। 1870 के दशक में गोरखपुर आने वाले बाबा गंभीरनाथ ने गोरखनाथ मंदिर के महंत गोपालनाथ जी से दीक्षा ली और इसके बाद साधना में लीन हो गए।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि 108 वर्षों के बाद भी बाबा गंभीरनाथ की शिष्य परंपरा से जुड़े लोग गोरखपुर आते हैं और कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।
भारत की ज्ञान परंपरा के महत्व पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जोर दिया
मुख्यमंत्री ने कहा कि दुनिया जब अंधकार में थी, तब भारत की ऋषि परंपरा ज्ञान को संहिताबद्ध करने का कार्य कर रही थी। महर्षि वेदव्यास ने भारतीय ज्ञान परंपरा को लिपिबद्ध किया, जिससे मानवता को मार्गदर्शन मिला। उन्होंने कहा कि आज भारतीय ज्ञान परंपरा का महत्व और प्रभाव बढ़ा है, और योग को दुनिया के 193 देशों में अपनाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सत्य केवल एक है, लेकिन उसे पाने के रास्ते अलग-अलग हो सकते हैं। उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा को दुनिया में सबसे विशिष्ट बताते हुए कहा कि भारत ने भौतिक सीमाओं को पार कर ब्रह्मांड के रहस्यों का उद्घाटन किया है।
चित्रकला प्रदर्शनी का उद्घाटन
संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने “नवनाथ एवं नाथ परंपरा” विषयक चित्रकला प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया। प्रदर्शनी में बीस योगियों और संतों के चित्र प्रदर्शित किए गए थे। प्रदर्शनी का आयोजन गोरखपुर विश्वविद्यालय और राज की बौद्ध संग्रहालय ने मिलकर किया था।
संगोष्ठी में शामिल होने से पहले, मुख्यमंत्री ने नाथपंथ के गुरुओं के तैलचित्रों का अवलोकन किया और इस अद्वितीय प्रदर्शनी की सराहना की।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संबोधन दुनिया के सामने भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व को पुनः स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण कदम था, और इस संगोष्ठी ने नाथपंथ की अमूल्य धरोहर को संजोने का एक बड़ा अवसर प्रस्तुत किया है।