सिकंदराबाद में राष्ट्रचिंतना की 25वीं गोष्ठी आयोजित, बलिदान दिवस पर शहीदों को नमन
सिकंदराबाद। भारत विकास परिषद् संस्कार शाखा के सहयोग से दीक्षित पैलेस में रविवार को राष्ट्रचिंतना की 25वीं गोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम की शुरुआत मां भारती और स्वामी विवेकानंद को नमन करते हुए शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि अर्पित कर की गई।
अखंड भारत के लिए संकल्पित होने का आह्वान
गोष्ठी में प्रो. विवेक कुमार, निदेशक, एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, एमिटी विश्वविद्यालय, नोएडा ने कहा कि बलिदान दिवस पर देशवासियों को अखंड भारत के संकल्प के प्रति जागरूक होना होगा। भारतीय शिक्षण मंडल, मेरठ प्रांत के प्रांत संयोजक अनिरुद्ध शास्त्री ने गणगीत के माध्यम से देशभक्ति का भाव जागृत किया।
अंगदान को बताया महादान
भारत विकास परिषद के प्रांतीय संपर्क प्रमुख प्रो. सतीश चंद्र गर्ग ने अंगदान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए ऋषि दधीचि के देहदान के त्याग का वृतांत सुनाया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी अमरपाल सिंह ने की। इस दौरान डॉ. आर.के. गुप्ता, विनोद गुप्ता, जुगल किशोर बंसल, डॉ. नरेंद्र कृष्ण, शिव प्रकाश काका, आर.पी. अग्रवाल, विभोर गुप्ता, डॉ. नीरज कौशिक, डॉ. संदीप, राजेंद्र सोनी, सुवेद दीक्षित, अनिल तायल ने अतिथियों का पटका पहनाकर स्वागत किया।
शहीदों का कर्ज चुकाना कठिन: क्रांति महाराज
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मेरठ प्रांत के समरसता प्रमुख स्वामी कैलाशानंद गिरि (क्रांति महाराज) ने अपने संबोधन में कहा कि शहीदों के बलिदान का कर्ज आने वाली पीढ़ियों के लिए उतारना कठिन होगा। उन्होंने सनातन संस्कृति, हिंदुत्व, समरसता और करुणा के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि मनुष्य के लिए मोक्ष प्राप्ति संभव है, जिसके लिए देवता भी तरसते हैं। सनातन धर्म ही मोक्ष प्राप्ति का साधन है।
युवा पीढ़ी को जागरूक करने की आवश्यकता
गोष्ठी के अध्यक्ष प्रो. बलवंत सिंह राजपूत, पूर्व कुलपति व राष्ट्रचिंतना अध्यक्ष ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता कई वीर क्रांतिकारियों के बलिदान से संभव हुई है। उन्होंने कहा कि समाज में परिवर्तन की शुरुआत स्वयं से करनी होगी। कार्यक्रम में उपस्थित वक्ताओं ने पंचगव्य को समस्त व्याधियों का रामबाण उपाय बताते हुए स्वभाषा व स्वभूषा को जीवन में अपनाने पर बल दिया।
स्वरक्षा के लिए अस्त्र-शस्त्र आवश्यक
गोष्ठी में वक्ताओं ने समाज को दो घंटे प्रतिदिन राष्ट्रहित में देने का संकल्प लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि स्वरक्षा के लिए हर घर में अस्त्र-शस्त्र का होना आवश्यक है। इस दौरान अंगदान और देहदान के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया।
सौ से अधिक प्रबुद्धजनों की रही उपस्थिति
कार्यक्रम में डॉ. प्रदीप दीक्षित, नगरपालिका अध्यक्ष, सिकंदराबाद, वी.एस. सक्सेना (प्रांतीय संयोजक, भारत विकास परिषद), अनिल मोघा, भोला, जूली, विजय सिंह कंबोज, अरविंद साहू, डॉ. अभिषेक, त्रिलोक गुर्जर, गौरव नागर, दीपक भाटी, किशोर कुमार, अजय सिंघल सहित सौ से अधिक प्रबुद्धजन उपस्थित रहे। अंत में वी.एस. सक्सेना ने सभी का आभार व्यक्त किया।