गुड क्लिनिकल प्रैक्टिस वर्कशॉप: मेडिकल रिसर्च की गुणवत्ता सुधारने की पहल
नोएडा, 21 मार्च 2025: नोएडा के साथ MRU, R&D, GIMS, ग्रेटर नोएडा ने संयुक्त रूप से “गुड क्लिनिकल प्रैक्टिस (GCP)” पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। GIMS के निदेशक डॉ. (ब्रिग) राकेश केआर गुप्ता के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यशाला का उद्देश्य प्रतिभागियों को GCP, नैतिकता, नियामक ढांचे और क्लिनिकल रिसर्च में शोधकर्ताओं, संस्थानों एवं प्रायोजकों की जिम्मेदारियों को समझाना था। यह प्रशिक्षण पोस्टग्रेजुएट छात्रों के लिए अनिवार्य है, जैसा कि NMC पाठ्यक्रम में निर्धारित किया गया है। इस कार्यशाला को उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल द्वारा मान्यता प्राप्त थी।
विशेषज्ञों ने साझा किए गहन ज्ञान
इस कार्यशाला में देश के प्रतिष्ठित संस्थानों से विशेषज्ञों ने भाग लिया। इनमें डॉ. सी.डी. त्रिपाठी (प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, फार्माकोलॉजी, GIMS ग्रेटर नोएडा), डॉ. एच.एस. रेहान (प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, फार्माकोलॉजी, LHMC, नई दिल्ली), डॉ. सुनीता सिंह (प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, फार्माकोलॉजी, नॉर्थ डीएमसी मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली), डॉ. शोमा मुखर्जी (प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, फार्माकोलॉजी, SMS&R, शारदा यूनिवर्सिटी), डॉ. पूजा गुप्ता (प्रोफेसर, AIIMS, नई दिल्ली), डॉ. एकता अरोड़ा (एसोसिएट प्रोफेसर, फार्माकोलॉजी, GIMS, ग्रेटर नोएडा) और डॉ. मणि भारती (असिस्टेंट प्रोफेसर, फार्माकोलॉजी, GIMS, ग्रेटर नोएडा) शामिल रहे।
कार्यक्रम की भव्य शुरुआत
कार्यशाला की शुरुआत पतंजलि हॉल, GIMS में पारंपरिक दीप प्रज्वलन के साथ हुई, जिसे डॉ. रंजना वर्मा (डीन परीक्षा, GIMS) एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने किया। इसके बाद स्वागत भाषण और प्रतिभागियों के ज्ञान आकलन के लिए एक प्रारंभिक परीक्षण (प्री-टेस्ट) आयोजित किया गया।
GCP और क्लिनिकल रिसर्च के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा
कार्यशाला के दौरान ICH-GCP, NDCT-2019 और ICMR-2017 दिशानिर्देशों पर विस्तृत चर्चा की गई। शोध प्रोटोकॉल, आवश्यक दस्तावेज, सूचित सहमति प्रक्रिया, नैतिक समिति, प्रायोजकों एवं शोधकर्ताओं की भूमिकाओं की व्याख्या की गई। मरीजों की सुरक्षा को GCP अनुपालन का प्रमुख आधार बताया गया।
प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित
कार्यशाला का समापन एक आकर्षक पैनल चर्चा, पोस्ट-टेस्ट मूल्यांकन और समापन समारोह के साथ हुआ, जहां प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए। इस कार्यशाला में पोस्टग्रेजुएट छात्रों, फैकल्टी मेंबर्स और शोधकर्ताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
क्लिनिकल रिसर्च की गुणवत्ता में होगा सुधार
इस पहल से क्लिनिकल रिसर्च में सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, डेटा की सत्यता बनाए रखने और चिकित्सा अनुसंधान की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान मिलने की उम्मीद है।