गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में “डीकोडिंग ट्रांसक्रिप्टोमिक्स” कार्यशाला का सफल आयोजन

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी ने 4 से 8 फरवरी 2025 तक एक उद्योग प्रायोजित पांच दिवसीय कार्यशाला “डीकोडिंग ट्रांसक्रिप्टोमिक्स: एनजीएस टूल्स और तकनीकों पर व्यापक हैंड्स-ऑन कार्यशाला” का आयोजन किया। यह कार्यशाला सेंटाइल बायोटेक कॉर्पोरेशन, कंप्यूटजीनोमिक्स, ज़ेनोमिक्स बायोलैब और सॉलरेस लैब के सहयोग से आयोजित की गई।

इस कार्यशाला में ट्रांसक्रिप्टोमिक्स और नेक्स्ट-जनरेशन सीक्वेंसिंग तकनीकों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया। प्रतिभागियों को ट्रांसक्रिप्टोम डेटा अधिग्रहण, असेम्बली, डिफरेंशियल जीन एक्सप्रेशन एनालिसिस और वेरिएंट कॉलिंग जैसी उन्नत तकनीकों से परिचित कराया गया।

कार्यशाला की मुख्य विशेषताएं
कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. विक्रांत नैन के संबोधन से हुआ, जिसमें उन्होंने बायोटेक्नोलॉजी में डिजिटल इनोवेशन और कम्प्यूटेशनल टूल्स के एकीकरण पर जोर दिया। स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के डीन, प्रो. एन. पी. मेलकानिया ने शिक्षा और उद्योग के सहयोग को मजबूत करने में अनुसंधान की भूमिका पर प्रकाश डाला।

कई प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने अपने व्याख्यान दिए:

श्री कपिल रवि (संस्थापक, कंप्यूटजीनोमिक्स) ने CARE फ्रेमवर्क प्रस्तुत किया, जो AI और जीनोमिक्स को जोड़ता है।

श्री अक्षय दिनेश (सेंटाइल बायोटेक) ने NGS-आधारित अध्ययनों में प्रयुक्त प्रमुख तकनीकों पर चर्चा की।

डॉ. हुमैरा सोनाह (रामलिंगास्वामी फेलो) ने विशाल जीनोम अनुक्रमण परियोजनाओं और उनके कृषि एवं औषधीय उपयोग पर जानकारी दी।

डॉ. भीम प्रताप सिंह (राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थान) ने मेटाजीनोमिक्स और खाद्य प्रौद्योगिकी में जीनोमिक्स की भूमिका पर प्रकाश डाला।

डॉ. शक्ति साही ने फार्माकोजीनोमिक्स और व्यक्तिगत दवा विकास पर व्याख्यान दिया, जिससे दवा चयापचय (Drug Metabolism) में आनुवंशिक अंतर की समझ विकसित हुई।

प्रशिक्षण और समन्वय

इस कार्यशाला के प्रशिक्षण सत्रों का संचालन डॉ. प्रदीप तोमर, डॉ. मीनाक्षी चौधरी, श्री कर्तव्य माथुर और सुश्री तान्या बर्गोटी द्वारा किया गया। सफल आयोजन का नेतृत्व डॉ. रेखा पुरिया (विभागाध्यक्ष, स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी) और डॉ. दीपाली सिंह ने किया।

समापन और भविष्य की संभावनाएं

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार, डॉ. विश्वास त्रिपाठी ने सभी प्रतिभागियों और आयोजकों को बधाई दी। उन्होंने बताया कि Genome India Project के तहत 10,000 से अधिक जातीय समूहों के जीनोम अनुक्रमण से व्यक्तिगत चिकित्सा उपचार और आनुवंशिक आहार चयन में क्रांतिकारी परिवर्तन आने की उम्मीद है।

यह कार्यशाला अनुसंधान और उद्योग के बीच सेतु के रूप में कार्य करते हुए बायोटेक्नोलॉजी और जीनोमिक्स के क्षेत्र में नए अवसरों के द्वार खोलने में सहायक सिद्ध होगी।

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