महाकुम्भ 2025: आस्था, सेवा और समर्पण का अद्वितीय महायज्ञ – शेफाली वैद्य का अनुभव
8 फरवरी 2025 | महाकुम्भ नगर: महाकुम्भ 2025 केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह आस्था, सेवा और समर्पण का एक जीवंत प्रतीक है। यह आयोजन उन लोगों का है, जो न केवल श्रद्धा से यहां आते हैं, बल्कि जिन्होंने अपने जीवन को सेवा और समर्पण की दिशा में समर्पित किया है। यह विचार शेफाली वैद्य ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर साझा करते हुए व्यक्त किए।
शेफाली वैद्य ने महाकुम्भ को श्रद्धा का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह उन तीर्थयात्रियों का है, जो अपने विश्वास के साथ संगम में पवित्र स्नान के लिए घंटों इंतजार करते हैं, बिना किसी शिकायत के केवल आस्था और विश्वास रखते हुए। उनका मानना है कि संगम में डुबकी लगाने से उनके सभी पाप धुल जाते हैं, और यह एक दिव्य अनुभव होता है।
महाकुम्भ, एक ऐसा आयोजन है जहां सेवा की भावना से जुड़े हजारों लोग बिना किसी स्वार्थ के अपनी भूमिका निभाते हैं। शेफाली ने उदाहरण देते हुए कहा कि सफाई कर्मी, पुलिसकर्मी, बचावकर्मी, मल्लाह, डॉक्टर, भंडारे में सेवा देने वाले लोग सभी मिलकर इस अद्भुत आयोजन को सफल बनाते हैं। इन सेवकों के योगदान से ही महाकुम्भ एक संपन्न और दिव्य अनुभव बन पाता है।
महाकुम्भ सिर्फ एक भव्य इवेंट नहीं, बल्कि भारत की आत्मा का स्पंदन है। यह हर 12 साल में एक बार उन लोगों का संगम होता है जो अपनी आस्था में डूबे होते हैं, और उन सेवकों का भी जो अपना तन, मन, और धन समर्पित कर इसे साकार करते हैं। शेफाली ने इसे भारत की संजीवनी शक्ति बताया, जो आस्था, भक्ति और सेवा के माध्यम से जीवित रहती है।