योगी सरकार का ऐतिहासिक कदम: आठवीं आर्थिक गणना 2025-26 से होगा यूपी का विकास, छोटे उद्यमियों को मिलेगा लाभ
लखनऊ, 4 फरवरी: योगी सरकार के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने पिछले साढ़े सात वर्षों में कानून व्यवस्था और बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शी सोच का उदाहरण है। इसी दिशा में, योगी सरकार ने प्रदेश के प्रत्येक वर्ग तक विकास की रोशनी पहुंचाने के लिए आठवीं आर्थिक गणना 2025-26 की शुरुआत करने का निर्णय लिया है। इस गणना के जरिये सटीक आंकड़े जुटाए जाएंगे, जिनके आधार पर सामाजिक सुधार की विभिन्न योजनाएं बनाई जाएंगी और जरूरतमंदों तक इनका लाभ पहुंचाया जाएगा।
17 हजार गणनाकार और 6 हजार पर्यवेक्षक होंगे तैनात
सीएम योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि आठवीं आर्थिक गणना 2025-26 की विस्तृत योजना तैयार की जाए, ताकि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सके। यह गणना केवल डाटा संग्रहण का कार्य नहीं होगी, बल्कि इसे ट्रांसफॉर्मेटिव टूल के रूप में विकसित किया जाएगा। सीएम के आदेश पर यह गणना डिजिटल माध्यमों से होगी, जिससे वास्तविक समय में डेटा सत्यापन और निगरानी की सुविधा होगी। इस गणना के लिए 17,000 गणनाकारों और 6,000 पर्यवेक्षकों को तैनात किया जाएगा, और स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित कर इस अभियान में शामिल किया जाएगा।
छोटे उद्यमियों और व्यापारियों को होगा फायदा
सीएम योगी ने आर्थिक गणना में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए महिला गणनाकारों की नियुक्ति का भी फैसला लिया है। इस कदम से महिलाएं डाटा संग्रहण, तकनीकी प्रशिक्षण और डिजिटल प्लेटफार्म पर काम करने में सक्षम होंगी, जिससे उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का अवसर मिलेगा। आर्थिक गणना से प्रदेश के छोटे उद्यमियों और व्यापारियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी, और योगी सरकार इन आंकड़ों के आधार पर छोटे उद्यमों को वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग प्रदान करेगी।
मल्टी-लेयर मॉनिटरिंग सिस्टम होगा तैयार
योगी सरकार द्वारा गणना के लिए मल्टी-लेयर मॉनिटरिंग सिस्टम तैयार किया जा रहा है, जिसमें जिलाधिकारी, जिला सांख्यिकी अधिकारी और आईटी एक्सपर्ट टीम शामिल होगी। यह सिस्टम डाटा की गुणवत्ता और सत्यता सुनिश्चित करेगा। इससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच का आर्थिक अंतर कम होगा, और छोटे उद्यमों को बढ़ावा मिलेगा। इस प्रक्रिया से रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और आर्थिक नीतियां समावेशी दृष्टिकोण से तैयार की जाएंगी, जिससे हर नागरिक को लाभ होगा।