योग और स्वास्थ्य, मार्जारि-आसन : बता रहे हैं योगगुरु ऋषि वशिष्ठ
☀योग और स्वास्थ्य ☀
मार्जारि-आसन :
वज्रासन में बैठ जाएँ। नितम्बों को उठा कर घुटनों के बल खड़े हो जाएँ। आगे की ओर झुकें और हाथों को कन्धों के नीचे जमीन पर इस प्रकार रखें कि उँगलियाँ सामने की ओर रहें।
हाथ घुटनों की ठीक सीध में रहें, भुजायें और जाँघे जमीन पर लम्बवत् रहें। दोनों घुटने थोड़े अन्तर पर कूल्हों की सीध में रहें।।
यह प्रारम्भिक स्थिति है।
श्वास लेते हुए सिर को ऊपर उठायें और मेरुदण्ड को नीचे की तरफ झुकायें, ताकि पीठ धनुषाकार हो जाय।
आमाशय को पूर्णतः फैलायें और फेफड़ों में अधिक-से-अधिक वायु भर लें। कुछ क्षण श्वास रोकें।
सिर को नीचे लाते हुए और मेरुदण्ड को धनुषाकार रूप में ऊपर ले जाते हुए श्वास छोड़ें।
पूर्णतः श्वास छोड़ने के पश्चात् आमाशय को संकुचित कर लें और नितम्बों को ऊपर की ओर ताने।
इस स्थिति में सिर भुजाओं के मध्य में जाँघों के सामने होगा। मेरुदण्ड के चाप को गहरा बनाते और आमाशय के संकुचन को बढ़ाते हुए 3 सैकण्ड तक श्वास रोक कर रखें।
यह एक चक्र हुआ।
श्वसन-
श्वास की गति को जितना सम्भव हो धीमा रखें। श्वास और प्रश्वास, दोनों के लिए कम-से-कम 5 सैकण्ड का समय लगाने का लक्ष्य रखें।
अवधि-
सामान्य उद्देश्यों के लिए 5 से 10 चक्र अभ्यास करें।
सजगता-
शारीरिक-गति के साथ श्वास के तालमेल और ऊपर से नीचे तक मेरुदण्ड के झुकाव पर।
आध्यात्मिक-
स्वाधिष्ठान चक्र पर।
लाभ-
यह आसन गर्दन, कन्धों और मेरुदण्ड के लचीलेपन में सुधार लाता है। यह स्वियों के प्रजनन-तन्त्र को पुष्ट करता है। गर्भावस्था में इसका अभ्यास किया जा सकता है, किन्तु आमाशय के बलपूर्वक संकुचन से परहेज करना चाहिए। ऋतु-चक्र की अनियमितता और श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया) से ग्रस्त महिलाओं को मार्जारि आसन से आराम मिलेगा और ऋतुकाल में इस आसन से ऐंठन में कमी आयेगी।
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