महाकुम्भ: सनातन धर्म का उत्कर्ष, चिदानंद सरस्वती ने सीएम योगी की सराहना की
महाकुम्भ का आयोजन सनातन धर्म का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण महापर्व है, जो भारतीयता और आस्था का प्रतीक है। परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के अध्यक्ष और आध्यात्मिक गुरु, स्वामी चिदानंद सरस्वती ने महाकुम्भ को सनातन धर्म के उत्कर्ष का महापर्व बताते हुए इसके भव्य आयोजन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि यह पूरे विश्व में सनातन धर्म की एकता, समता और सरसता का संदेश दे रहा है।
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने महाकुम्भ के इस आयोजन की दिव्यता और भव्यता को अत्यधिक सराहा। उनका कहना था कि वह 1971 से महाकुम्भ में भाग ले रहे हैं, लेकिन इस बार जो व्यवस्था और आयोजन देखा है, वह पहले कभी नहीं हुआ। उन्होंने विशेष रूप से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनके अथक प्रयासों से यह अद्भुत आयोजन संभव हुआ है। उन्होंने बताया कि इस बार महाकुम्भ में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आकर इस आयोजन की आभा और आध्यात्मिक ऊर्जा को महसूस कर रहे हैं।
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने संगम तट पर स्नान करते हुए जो दृश्य देखा, वह उन्हें गहरे गौरव और गर्व से भर गया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ का आयोजन देश और विदेश से आए श्रद्धालुओं को एकजुट करने वाला है, चाहे वह पाकिस्तान, बांगलादेश, बहरीन, या अरब देशों से हों। महाकुम्भ में विभिन्न जाति, पंथ और भाषाओं के लोग एक साथ संगम में स्नान कर रहे हैं, जो सनातन धर्म की एकता का अद्भुत प्रतीक है।
महाकुम्भ न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व में सनातन धर्म के शिखर को छूने की ओर बढ़ता हुआ कदम है।