प्राचीन भारतीय गौरव और वर्तमान चुनौतियाँ पर GNIOT में आयोजित हुई राष्ट्रचिंतना गोष्ठी
19 जनवरी, 2025 को GNIOT के सभागार में आयोजित हुई 23वीं राष्ट्रचिंतना गोष्ठी में विचारों का मंथन
गुरुवार, 19 जनवरी, 2025 को GNIOT के सभागार में “प्राचीन भारतीय गौरव और वर्तमान चुनौतियाँ” विषय पर आयोजित राष्ट्रचिंतना की तेईसवीं गोष्ठी में देश के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व पर चर्चा की गई। इस गोष्ठी की अध्यक्षता प्रो. बलवंत सिंह राजपूत ने की, जिन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा, विशेषकर काशी और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की महत्ता पर प्रकाश डाला।
गोष्ठी का उद्घाटन मां भारती और मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलन एवं पुष्प अर्पित करने से हुआ। इस अवसर पर मुख्य वक्ता श्री महिम तिवारी, संस्थापक सनातन शिक्षालय ने अपने ओजपूर्ण संबोधन में भारतीय संस्कृति और शिक्षा की वर्तमान स्थिति पर विचार व्यक्त किए।
प्रो. विवेक कुमार, निदेशक एमिटी इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी, नोएडा ने विषय परिचय कराते हुए भारतीय ऋषि-मुनियों द्वारा किए गए नवाचारों, जैसे जल संरक्षण आदि, पर बात की। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का प्राचीन ज्ञान, आज भी दुनिया में अग्रणी रहा है।
मुख्य वक्ता श्री महिम तिवारी ने वेदों और शास्त्रों का हवाला देते हुए कहा कि समाज की कई समस्याओं का समाधान सनातन शिक्षा पद्धति और ग्रंथों के विवेकपूर्ण अध्ययन में निहित है। उन्होंने नशे की प्रवृत्ति, समाज में नारीशक्ति का अनादर, और परिवार विच्छेद जैसी समस्याओं पर भी चिंता जताई।
गोष्ठी में पाश्चात्य शिक्षा पद्धति की आलोचना करते हुए, श्री तिवारी ने युवाओं को सोशल मीडिया की मृगतृष्णा और अश्लीलता से बचने का संदेश दिया। उन्होंने कहा, “ज्ञान के साथ विज्ञान का सम्मान आवश्यक है और यह महत्वपूर्ण है कि युवाओं को सही मार्गदर्शन मिले, ताकि वे सही दिशा में अपनी शिक्षा प्राप्त करें।”
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से हुआ। इस अवसर पर विंग कमांडर आर एन शुक्ला, नरेश गुप्ता, प्रो. राजेंद्र पुरवार, और अन्य प्रबुद्धजनों की उपस्थिति रही।