साइबर ठगों के सामने बेबस महसूस करता है सरकारी तंत्र, ठोस कदम उठाने की है जरूरत – अतुल मलिकराम
नई दिल्ली, 9 जनवरी: देश में साइबर अपराधों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जहां एक ओर भारत डिजिटल इंडिया का सपना देख रहा है, वहीं दूसरी ओर साइबर ठग इंटरनेट का नाजायज़ फायदा उठा रहे हैं। सरकारी तंत्र इस बढ़ते अपराध को रोकने में नाकाम दिखाई दे रहा है, और यही सबसे बड़ी चिंता का विषय बन गया है।
साइबर क्राइम के मामलों में बढ़ोतरी के बावजूद सरकारी तंत्र के पास इन अपराधियों को पकड़ने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं है। 2024 की पहली तिमाही में 7.4 लाख साइबर अपराध की शिकायतें दर्ज की गईं और 11,269 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई। वहीं, 2023 में साइबर अपराध के 4.5 लाख मामले सामने आए।
साइबर अपराधों में ऑनलाइन धोखाधड़ी, फिशिंग, रैंसमवेयर अटैक और क्रेडिट कार्ड स्कैम जैसी घटनाएं प्रमुख रूप से हो रही हैं। ठग न केवल बड़े लोगों को बल्कि सामान्य और गरीब लोगों को भी अपना शिकार बना रहे हैं। वहीं, सरकारी जागरूकता अभियानों जैसे “साइबर दोस्त” और “साइबर सुरक्षित भारत” का प्रभाव बेहद सीमित दिखता है।
अतुल मलिकराम, एक प्रमुख राजनीतिक रणनीतिकार, ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकारी तंत्र को न केवल साइबर अपराधों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करनी चाहिए, बल्कि अपराधियों के खिलाफ ऐसी सख्त कार्यवाही करनी चाहिए, जिससे अन्य अपराधी डरें और उनकी योजना को अंजाम देने से पहले सौ बार सोचें। साथ ही, साइबर विभाग को उन्नत उपकरण और विशेषज्ञों के साथ सख्त कानूनों की आवश्यकता है, ताकि साइबर अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सके।
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