योग और स्वास्थ्य, काक चालन आसन : बता रहे हैं योग गुरु ऋषि वशिष्ठ
☀योग और स्वास्थ्य ☀
काक चालन आसन :
क्रिया विधिः
उकई बैठ जायें। पैरों के पंजों के बीच थोड़ी दूरी रखें और नितम्बों को एड़ियों के ऊपर रखें। हथेलिया घुटनों के ऊपर रखें।
उकहूँ बैठ कर ही कुछ कदम चलें।
घुटनों में लोच बनाये रखें ताकि नितम्ब एड़ियों पर से न हिलें। पैरों की उँगलियों अथवा तलवों, दोनों में से जिस पर चलना अधिक कठिन हो, उसी पर चलें।
जैसे ही आप एक कदम आगे बढ़ायें, दूसरे घुटने को जमीन पर ले आयें।
50 कदम तक जितने कदम चल सकें, चलें और उसके बाद शवासन में विश्राम करें।
श्वसन-
पूरे अभ्यास में सामान्य श्वास।
सजगता :
चलते समय गत्ति की सहजता पर।
शवासन में लेटने पर हृदयगति, अथवा श्वास और पीठ के निचले भाग, नितम्बों, घुटनों और टखनों पर पड़ने वाले प्रभावों पर।
सीमायें-
घुटनों, एड़ियों या पंजों के रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
लाभ-
यह आसन पैरों को ध्यान के आसनों में बैठने के लिए तैयार करता है, और पैरों में रक्त-संचार की वृद्धि करता है। यह कब्ज को भी दूर करता है।
☀ऋषि वशिष्ठ ☀
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