गलगोटिया विश्वविद्यालय ने किसान दिवस पर आयोजित की उन्नत-कृषि कार्यशाला
ग्रेटर नोएडा, 23 दिसंबर 2024: राष्ट्रीय किसान दिवस के अवसर पर, गलगोटिया विश्वविद्यालय के “स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर” ने एसडी कन्या इंटर कॉलेज, बिलासपुर के सहयोग से एक प्रेरणादायक “उन्नत-कृषि कार्यशाला” का आयोजन किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य युवाओं को सस्टेनेबल कृषि तकनीकों का व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करना था। कार्यशाला में मधुमक्खी पालन, वर्मीकंपोस्टिंग, और वर्टिकल गार्डनिंग जैसी आधुनिक कृषि तकनीकों को प्रमुखता दी गई।
कार्यशाला को संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों, “भूखमुक्ति” (SDG 2) और “जलवायु कार्रवाई” (SDG 13) से जोड़ा गया था। इस कार्यक्रम में स्कूल के छात्र-छात्राओं और युवा कृषि उत्साहियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और पर्यावरण के अनुकूल तकनीकों को सीखा, जो भविष्य में खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देंगी।
कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण में शामिल रहे:
– मधुमक्खी पालन पर प्रदर्शन: डॉ. रविंद्र कुमार, सहायक प्रोफेसर, ने मधुमक्खी पालन की तकनीकों और इसके पर्यावरणीय व आर्थिक लाभों पर व्यावहारिक जानकारी दी।
– वर्मीकंपोस्टिंग पर सत्र: डॉ. कमलकांत यादव, सहायक प्रोफेसर, ने जैविक कचरे से खाद बनाने के तरीकों पर एक प्रभावशाली सत्र आयोजित किया।
– वर्टिकल गार्डनिंग पर प्रदर्शन: डॉ. हेमलता, सहायक प्रोफेसर, ने सीमित स्थान में खेती की संभावनाओं को दिखाते हुए वर्टिकल गार्डनिंग की तकनीकों पर लाइव डेमो दिया।
– इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम्स: एसडी इंटर कॉलेज के छात्रों ने इस पर अपने प्रोजेक्ट्स का शानदार प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम के दौरान, एसडी कन्या इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या श्रीमती ममता शर्मा ने कहा, “गलगोटिया विश्वविद्यालय ने हमारे छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान प्रदान कर शिक्षा को एक नया आयाम दिया है। इस कार्यशाला ने छात्रों को कृषि को एक करियर विकल्प के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित किया है।”
कॉलेज के अध्यक्ष यश कुमार ने कहा, “गलगोटिया विश्वविद्यालय ने शिक्षा और कृषि को जोड़कर एक नई मिसाल पेश की है। यह साझेदारी हमारे युवाओं को आधुनिक कृषि तकनीकों से लैस करने में मददगार होगी।” उप प्रधानाचार्या श्रीमती प्रतिक्षा शर्मा ने कहा, “इस तरह की कार्यशालाएं छात्रों के भीतर जिज्ञासा और नवाचार की भावना को प्रोत्साहित करती हैं।”
किसान दिवस पर इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए गलगोटिया विश्वविद्यालय के चांसलर श्री सुनील गलगोटिया ने कहा, “इस तरह के कार्यक्रम युवाओं को उन्नत कृषि के क्षेत्र में सशक्त बनाते हैं। यह हमारे हरित और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।”
विश्वविद्यालय के सीईओ, डॉ. ध्रुव गलगोटिया ने कहा, “हम शिक्षा को एक परिवर्तनकारी शक्ति बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मधुमक्खी पालन और वर्मीकंपोस्टिंग जैसी तकनीकों के माध्यम से हम युवा पीढ़ी को जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने और कृषि स्थिरता में योगदान देने के लिए तैयार कर रहे हैं।”
गलगोटिया विश्वविद्यालय की इस कार्यशाला ने न केवल छात्रों को उन्नत कृषि के व्यावहारिक ज्ञान से सशक्त किया, बल्कि कृषि और शिक्षा के बीच की दूरी को भी पाटने में अहम भूमिका निभाई। यह कार्यक्रम गलगोटिया विश्वविद्यालय की आत्मनिर्भर और हरित भविष्य की दिशा में प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।
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