योग और स्वास्थ्य , शक्ति बन्ध समूह के योगासन, बता रहे हैं योग गुरु ऋषि वशिष्ठ
☀ शक्ति बन्ध समूह के योगासन ☀
☀योग और स्वास्थ्य ☀
☀ शक्ति बन्ध समूह के योगासन ☀
इस आसन समूह का सम्बन्ध शरीर में ऊर्जा प्रवाह में सुधार लाने और तन्त्रिकीय-पेशिय-गाँठों को समाप्त करने से है। ये आसन मेरुदण्ड के ऊर्जा अवरोधों को भी दूर करते हैं, फेफड़ों और हृदय को सक्रिय बनाते हैं और अन्तःस्रावी ग्रन्थि प्रणाली के कार्यों में सुधार लाते हैं। इस समूह के आसन उन लोगों के लिए बहुत उपयोगी हैं, जिनकी प्राणशक्ति क्षीण हो गयी है और पीठ का लचीलापन समाप्त हो चुका है। ये आसन मासिक धर्म-सम्बन्धी समस्याओं में विशेष उपयोगी हैं और श्रोणीय अंगों एवं मांसपेशियों की मालिश करते हैं। गर्भाधान के पश्चात् इनका अभ्यास किया जा सकता है। इससे ढीली हुई मांसपेशियाँ पुनः सुदृढ़ बनती है।
यदि शरीर स्वस्थ एवं कार्यक्षम हो तो सीधे ही शक्तिबन्ध के आसनों का अभ्यास आरम्भ किया जा सकता है, किन्तु यदि कोई गम्भीर बीमारी हो तो चिकित्सक का परामर्श लें। प्रत्येक अभ्यास के साथ दी गई सीमाओं को भी ध्यान से देखें।
दायें हाथ से काम करने वालों को दायीं ओर से आसन आरम्भ करने में सुगमता लगेगी। हाथ-पैर, तन्त्रिकाओं और आदतवश व्यवहार को सन्तुलित करने के लिए, उन्हें बाद में बायीं ओर से भी अभ्यास आरम्भ करना चाहिए।
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