पैंगोलिन पर हो रहा प्रहार, आरटीआई से हुए चौंकाने वाले खुलासे, तस्करी पर नियंत्रण की जरूरत
नोएडा, 13 दिसंबर 2024। पैंगोलिन प्रजाति के प्राणियों का लगातार शिकार पर्यावरण प्रेमियों के लिए चिंता का विषय बन चुका है। इस बारे में समाजसेवी श्री रंजन तोमर द्वारा वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो में लगाई गई एक आरटीआई से कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। आरटीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारत में पैंगोलिन स्केल की तस्करी में लगातार वृद्धि हो रही है, और देशभर में यह प्रजाति संकटग्रस्त होती जा रही है।
आरटीआई के पहले सवाल में श्री तोमर ने पूछा था कि वार्षिक रूप से कितने पैंगोलिन स्केल जब्त किए गए। इसके जवाब में ब्यूरो ने बताया कि 2019 में 136.53 किलो पैंगोलिन स्केल जब्त किए गए थे, वहीं 2020 में यह आंकड़ा घटकर 36.815 किलो रहा। 2021 में 184.212 किलो, 2022 में 53.566 किलो, 2023 में 53.925 किलो और 2024 में अब तक 75.85 किलो पैंगोलिन स्केल जब्त हुए हैं।
महाराष्ट्र, असम और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा शिकार
जानकारी के अनुसार, पैंगोलिन का शिकार सबसे ज्यादा महाराष्ट्र, असम और मध्य प्रदेश में हुआ है। 2020 में महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा शिकार हुआ, वहीं 2021 और 2022 में असम में शिकार की घटनाएं बढ़ीं। 2023 में मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा शिकार हुआ।
जीवित पैंगोलिन की बरामदी और शिकारी की गिरफ्तारी
आरटीआई में यह भी पूछा गया था कि कितने जीवित पैंगोलिन पकड़े गए और कितने शिकारी गिरफ्तार हुए। इसके जवाब में ब्यूरो ने बताया कि 2019 में 23 जीवित पैंगोलिन को बचाया गया और 109 शिकारी गिरफ्तार हुए, 2020 में 17 पैंगोलिन को बचाया गया और 80 शिकारी पकड़े गए। 2021 में यह आंकड़ा 30 और 132 था, 2022 में 8 पैंगोलिन को बचाया गया और 57 शिकारी पकड़े गए, 2023 में 7 पैंगोलिन को बचाया गया और 66 शिकारी पकड़े गए। 2024 में अब तक कोई जीवित पैंगोलिन नहीं पकड़ा गया और 20 शिकारी गिरफ्तार हुए हैं।
पैंगोलिन की विशेषताएं और तस्करी का कारण
पैंगोलिन एक शर्मीला प्राणी है, जो अपनी सुरक्षा के लिए आमतौर पर इंसानों से दूर रहता है। इसका मुख्य आहार चींटियां और दीमक होते हैं। इसकी जिह्वा चींटीख़ोरों की तरह होती है, जो इसे अपना आहार प्राप्त करने में मदद करती है। पैंगोलिन के शरीर पर कड़ी और सुनहरी-भूरी स्केल्स होती हैं, जो इसकी विशेष पहचान हैं। इन स्केल्स के कारण इसका मांस काफी महंगा बिकता है, और चीन में इसे एक महंगे एग्जॉटिक जानवर के रूप में माना जाता है।
तस्करी के कारण पैंगोलिन अब विलुप्त होने के खतरे से जूझ रहा है। पैंगोलिन के मांस की एक किलो कीमत लगभग 27,000 रुपए तक पहुंच सकती है, जिसके कारण इसे तस्करों के निशाने पर रखा जाता है।
आगे की योजना
श्री रंजन तोमर ने कहा कि वे केंद्र और राज्य सरकारों के मंत्रालयों से इस मामले में कड़े कदम उठाने की अपील करेंगे, ताकि पैंगोलिन के शिकार और तस्करी पर पूरी तरह से नियंत्रण पाया जा सके और इस प्रजाति को विलुप्त होने से बचाया जा सके।
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