योग और स्वास्थ्य, पाचन/उदर – समूह के योगासन, बता रहे हैं योग गुरु ऋषि वशिष्ठ
☀योग और स्वास्थ्य ☀
☀पाचन/उदर – समूह के योगासन : ☀
अभ्यास 8: – नौकासन
प्रारम्भिक स्थिति में लेट जायें।
पूरे अभ्यास के दौरान आँखें खुली रखें।
गहरी श्वास लें। श्वास को रोक कर पैरों, भुजाओं, कन्धों, सिर और धड को जमीन से ऊपर उठायें।
कन्धों और पैरों को जमीन से 15 सेन्टीमीटर से अधिक ऊपर न उठायें। शरीर को नितम्बों पर संतुलित करें और मेरुदण्ड को सीधा रखें।
भुजाओं को भी उसी ऊँचाई पर एवं पैरों की उंगलियों की सीध में रखें। हाथों को खुला रखते हुए हथेलियाँ जमीन की ओर रखें। दृष्टि पैरों की उंगलियों की ओर रहे।
अन्तिम अवस्था में रहते हुए श्वास रोकें। मानसिक रूप से 5 तक (या सम्भव हो तो उससे अधिक) गिनती करें।
श्वास छोड़ें और धीरे-धीरे जमीन पर वापस आ जायें। इतनी सावधानी रखें कि जमीन पर वापस आते समय सिर के पिछले भाग को चोट न पहुंचे।
सम्पूर्ण शरीर को शिथिल करें।
यह एक चक्र हुआ।
3 से 5 चक्र अभ्यास करें।
प्रत्येक चक्र के बाद शवासन में लेट कर विश्राम करें। श्वास अन्दर लेते समय उदर को फैलाएँ, जिससे कि उदर की मांसपेशियाँ शिथिल हो आएँ।
प्रकारान्तरः
ऊपर बतायी गयी प्रक्रिया की पुनरावृत्ति करें, किन्तु शरीर की ऊपर उठी हुई स्थिति में मुट्ठियों को भीचे और शरीर को अधिक-से- अधिक ताने।
श्वसन-
शरीर को ऊपर उठाने के पूर्व श्वास लें।
शरीर को उठाते, तानते और नीचे लाते समय श्वास को रोकें।
प्रारम्भिक स्थिति में आकर श्वास छोड़ें।
सजगता –
श्वास, गति, मानसिक गणना और अन्तिम अवस्था में शरीर पर, विशेषकर उदर की पेशियों पर ।
लाभ-
यह आसन पेशींयों, पाचन, परिसंचरण, तन्त्रिका और अन्तःस्रावी तन्त्रों में क्रियाशीलता लाता है, सभी अंगों को पुष्ट बनाता है और आलस्य एवं तन्द्रा को दूर करता है। यह तन्त्रिकीय तनाव को दूर कर गहन विश्राम प्रदान करने में विशेष रूप से सहायक है। गहन विश्राम की प्राप्ति हेतु इसे शवासन के पूर्व करना चाहिए। प्रातः जागरण के तुरन्त बाद यदि यह आसन कर लिया जाये तो शरीर और मन को पूर्ण ताजगी प्राप्त होती है। यह आसन उन महिलाओं के लिए भी लाभकारी है जो गर्भधारण की तैयारी कर रही हैं। गर्भावस्था के द्वितीय त्रिमास के दौरान भी इसका अभ्यास किया जा सकता है।
☀ऋषि वशिष्ठ ☀
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