योग और स्वास्थ्य – पाचन/उदर – समूह के योगासन, बता रहे हैं योग गुरु ऋषि वशिष्ठ
☀योग और स्वास्थ्य ☀
☀पाचन/उदर – समूह के योगासन : ☀
पाचन/उदर समूह-
इस समूह के आसन विशेष रूप से पाचन तन्त्र को सशक्त बनाने के लिए हैं। अपच, कब्ज, अम्लता, अधिक वायु या गैस, भूख की कमी, मधुमेह, पुरुष या स्त्री की प्रजनन-प्रणाली की गड़बड़ी और स्फीत शिरा से पीड़ित व्यक्तियों के लिए ये बड़े उपयुक्त अभ्यास हैं। ये उदर प्रदेश के ऊर्जा-अवरोधों को भी दूर करते हैं।
सचेतता-
इस समूह में
पूरे अभ्यास के दौरान निम्नांकित पर अपनी सजगता बनाये रखें-
गति , श्वसन , अन्तःउदरीय दबाव और मांसपेशियों के खिंचाव।
अभ्यास के क्रम में विश्राम-
अभ्यास आरम्भ करने के पूर्व शरीर और मन को शान्त एवं शिथिल करना चाहिए। शवासन के अभ्यास से यह स्थिति निश्चित रूप से प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त आसनों के बीच भी शवासन में लेट कर थोड़ी देर शरीर को शिथिल कर लेना चाहिए। सामान्यतः एक मिनट या तीस सैकण्ड का विश्राम भी पर्याप्त होता है।
किन्तु अच्छा होगा कि
श्वास-प्रश्वास की गति सामान्य होने तक विश्राम करें।
अधिक या हठ पूर्वक जोर न लगायें –
इस समूह के आसन प्रारम्भ करते समय यह परामर्श दिया जाता है कि एक ही बार में सभी आसनों को नहीं करें, विशेषकर उन आसनों को जो दोनों पैरों से एक साथ किये जाते हैं। अच्छा यह होगा कि एक बार में एक अभ्यास को चुनें और उसे पूर्व के अभ्यासों के साथ जोड़ दें। समूह के आसनों के अभ्यास में अधिक प्रयास की आवश्यकता होती है, और इससे पीठ के निचले भाग पर जोर पड़ सकता है। इसलिए अपनी शारीरिक क्षमता के प्रति सजग रहें और अभ्यास के दौरान अधिक जोर न लगायें।
सावधानी –
उच्च रक्तचाप, गम्भीर हृदय रोग, पीठ-दर्द, जैसे, सायटिका और स्लिप डिस्क के रोगी या जिसने हाल ही में पेट की शल्यक्रिया करायी हो, उसे ये अभ्यास नहीं करने चाहिए। इस सम्बन्ध में कोई संदेह हो तो कृपया अच्छे चिकित्सक से परामर्श लें।
प्रारम्भिक स्थिति:
ये सभी आसन पीठ के बल लेट कर किये जाते हैं। दोनों पैरों को एक साथ एक सीध में रखें। दोनों भुञ्जायें बगल में, हथेलियाँ जमीन पर और सिर, गर्दन तथा मेरुदण्ड एक सीध में रहेंगे। आसन के लिए एक मोटी दरी अथवा कम्बल का उपयोग अवश्य करें ।
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