ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण कार्यलय पर कल सोमवार को किसान महापंचायत: 10% प्लॉट और मुआवजा की मांग, राष्ट्रीय स्तर पर मिला समर्थन, राकेश टिकैत समेत कई बड़े नेता होंगे शामिल
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर कल, 25 नवंबर, से किसानों का ऐतिहासिक आंदोलन शुरू होगा। इस विशाल महापंचायत और रात-दिन के महापड़ाव में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत, वरिष्ठ किसान नेता हन्नान मौला, दशरथ कुमार और किसान नेता सुनील फौजी के नेतृत्व में हजारों किसान शामिल होंगे।
कल सुबह 10:00 बजे ग्रेटर नोएडा के सम्राट मिहिर भोज सिटी पार्क पर किसान 10:00 बजे से जुड़ने लगेंगे इसके तत्पश्चात 11:00 बजे किसान हजारों की संख्या में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण कार्यालय की ओर कूच करेंगे।
हालांकि नोएडा पुलिस ने मात्र 3000 किसानों को महापंचायत में शामिल होने की परमिशन दी है जबकि किसानों ने 10,000 से ज्यादा किसानों के शामिल होने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में पुलिस प्रशासन और किसानों के बीच टकराव की स्थिति हो सकती है।
किसान नेता रूपेश वर्मा ने बताया ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर किसानों का आंदोलन अब निर्णायक चरण में पहुंच चुका है। 25 नवंबर को आयोजित होने वाली किसान महापंचायत अनिश्चितकालीन महापड़ाव में बदल जाएगी। अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और आठ बार के लोकसभा सांसद हन्नान मौला इसे संबोधित करेंगे।
आंदोलन की रूपरेखा
संयुक्त किसान मोर्चे के फैसले के अनुसार, महापड़ाव 27 नवंबर तक ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर रहेगा। इसके बाद, 28 नवंबर से 1 दिसंबर तक यह यमुना प्राधिकरण पर जारी रहेगा। आंदोलन का तीसरा और अंतिम चरण 2 दिसंबर को संसद सत्र के दौरान दिल्ली कूच के रूप में होगा।
मांगों का एजेंडा
आंदोलन की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में किसान नेता सुनील फौजी ने बताया कि यह आंदोलन किसानों के हक और अधिकारों की लड़ाई है। उनकी प्रमुख मांगें निम्नलिखित हैं:
1. पुराने भूमि अधिग्रहण कानून के तहत प्रभावित किसानों को 10% प्लॉट और 64.7% बढ़ा हुआ मुआवजा।
2. 1 जनवरी 2014 के बाद अधिग्रहित भूमि पर बाजार दर का चार गुना मुआवजा और 20% प्लॉट।
3. सभी भूमिधर और भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार और पुनर्वास लाभ।
4. हाइपावर कमेटी द्वारा पास किए गए मुद्दों पर सरकारी आदेश (जीओ) जारी करना।
5. आबादी क्षेत्रों का उचित निस्तारण।
सुनील फौजी ने यह भी बताया कि आंदोलन में शामिल सभी किसान संगठनों ने एकजुट होकर यह शपथ ली है कि जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं होतीं, यह आंदोलन जारी रहेगा।
राष्ट्रीय स्तर का समर्थन
यह महापंचायत देश के कई बड़े किसान संगठनों को एक मंच पर ला रही है। इनमें भारतीय किसान यूनियन टिकैत, भाकियू महात्मा टिकैत, जय जवान जय किसान मोर्चा, भारतीय किसान सभा, किसान एकता संघ, किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा, भाकियू कृषक शक्ति और भाकियू अजगर जैसे संगठन शामिल हैं। इसके अलावा, अन्य दर्जनों किसान संगठनों के भी इस आंदोलन में शामिल होने की संभावना है।
हजारों किसानों की भागीदारी का भरोसा
आंदोलन में हजारों किसानों, महिलाओं और युवाओं के आने का भरोसा जताया गया है। सुनील फौजी ने बताया कि किसान अपने अधिकारों के लिए तैयार हैं और इस महापंचायत के जरिए अपनी आवाज बुलंद करेंगे।
आंदोलन का महत्व
ग्रेटर नोएडा में होने जा रही यह महापंचायत किसानों के संघर्ष में एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकती है। किसान नेता राकेश टिकैत और अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी से यह आंदोलन और प्रभावशाली होगा। किसानों को उम्मीद है कि सरकार उनकी मांगों पर विचार करने को मजबूर होगी।
किसान नेता रुपेश वर्मा ने कहा है “यह आंदोलन सिर्फ 10% प्लॉट और मुआवजा तक सीमित नहीं है, बल्कि किसानों के अधिकारों और उनके भविष्य के लिए है। इसे तभी समाप्त किया जाएगा, जब सरकार सभी मांगें पूरी करेगी।”
नेताओं और संगठनों की भागीदारी
इस महापंचायत और महापड़ाव में किसान सभा, संयुक्त किसान मोर्चा, और कई अन्य संगठनों के नेता और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में शामिल होंगे। किसानों का कहना है कि यह आंदोलन राष्ट्रीय स्तर पर एक नई दिशा देगा।
आंदोलन का महत्व
ग्रेटर नोएडा से शुरू होकर यमुना प्राधिकरण और दिल्ली तक पहुंचने वाला यह आंदोलन सरकार पर दबाव बनाने का एक ऐतिहासिक प्रयास होगा। किसानों को उम्मीद है कि उनकी मांगें जल्द पूरी होंगी।
भविष्य की रणनीति
सभी किसान संगठनों ने इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। महापंचायत से महापड़ाव तक और दिल्ली कूच तक, यह आंदोलन किसानों की एकता और उनके अधिकारों की लड़ाई का प्रतीक बनेगा।