योग और स्वास्थ्य, पाद-मूल- शक्ति-विकासक, बता रहे हैं योग गुरु ऋषि वशिष्ठ
योग और स्वास्थ्य
पाद-मूल- शक्ति-विकासक
स्थिति-
समावस्था में खड़े रहें।
विधि-
(क) एड़ियों उठाकर पंजों पर खड़े हो जाएँ। श्वास सामान्य रखें। अपने स्थान पर 10-15 बार धीरे-धीरे उछलें। पंजों को जमीन पर टिकाकर रखें।
(ख) श्वास को सामान्य रखते हुए अपने स्थान पर खड़े हो जाएं। अब एक बार एड़ियों पर, शरीर का पूरा भार संभाले, तुरन्त इसके बाद शरीर का पूरा भार पंजों पर संभाले। इस क्रिया को जल्दी – जल्दी 10-15 बार करें।
लाभ :
1- पैरों का दर्द मिटता है।
2- घुटने व जंघाएँ पुष्ट बनते हैं।
3 – ब्रह्मचर्य की वृद्धि होती है।
4 – पैर की उँगुलियों का दर्द मिटता और उंगलियां मजबूत होती है।
गुल्फ , पादतल और पाद-पृष्ठ-शक्ति-विकास
स्थिति-
समावस्था में खड़े रहें।
विधि-
(क) बाएँ पैर को जमीन से सामने की और लगभग 9″ ऊपर उठाकर तानें। पंजे से ० को बनाएँ और मिटाएँ। श्वास को सामान्य रखते हुए क्रिया को तीन बार करें।
(ख) बाएँ पैर को पीछे की ओर तानें ज़मीन से लगभग 9″ ऊपर उठाकर पीछे की ओर तानें। पंजे से जीरो को बनाएँ और मिटाएँ। श्वास को सामान्य रखते हुए क्रिया को तीन बार करें।
(ग) भाग क के समान दाहिने पंजे से तीन बार क्रिया को पूरा करें।
(घ) दाहिने पैर को ज़मीन से लगभग 9 पीछे उठाकर तानें, भाग ख के समान क्रिया तीन बार करें।
लाभ –
1 – पैर की उंगुलियों, पंजे, पैर का पृष्ठ भाग और तलुओं का वर्द मिटता है।
2 – पैर सुंदर सुडौल बनते हैं, मोच को दूर करने के लिए उपयुक्त है। अधिक चलने, दौड़ने की स्थिति में अधिक थकावट होने पर इस क्रिया से थकान दूर होती है।
3 – पैरों की अंगुलियों को विशेष बल प्राप्त होता है।
4 – पंजे व उँगलियों का दर्द मिटता है।
5 – अंगुलियों व पैर के पंजे लचीले होते हैं तथा उन का
दर्द भी मिट जाता है।
ऋषि वशिष्ठ
विशेषज्ञ
योग एवम ज्योतिष
सम्पर्क सूत्र –
9259257034