जी.डी. गोयनका के छात्रों का ऐतिहासिक लाल किले का भ्रमण: भारत की गौरवशाली विरासत और मुगल वास्तुकला का अनूठा अनुभव
शाहजहाँ के सपनों का किला: छात्रों ने मुगल वास्तुकला और इतिहास के अनूठे पहलुओं को किया नजदीकी से महसूस
नई दिल्ली। भारत के समृद्ध इतिहास और भव्य स्थापत्य कला का परिचय कराने के उद्देश्य से छात्रों के लिए ऐतिहासिक लाल किले का एक शैक्षिक भ्रमण आयोजित किया गया। इस यात्रा का उद्देश्य भारत की सांस्कृतिक धरोहर और मुगलकालीन स्थापत्य का प्रत्यक्ष अनुभव प्रदान करना था। लाल किला, जो यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है, भारतीय इतिहास में मुगल भव्यता, कलात्मकता और संस्कृति का जीवंत प्रतीक है।
इस अवसर पर छात्रों को मुगल काल के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य, 1638 में सम्राट शाहजहाँ द्वारा किले के निर्माण की शुरुआत और किले के निर्माण में अपनाई गई शिल्प कौशल की विभिन्न विधाओं से परिचित कराया गया। किले में फारसी, तैमूरिद और भारतीय स्थापत्य शैलियों का अनूठा मिश्रण देखकर छात्रों ने ऐतिहासिक वास्तुकला की गहरी सराहना की।
यात्रा के दौरान छात्रों ने न केवल ऐतिहासिक तथ्यों को सीखा, बल्कि यह भी जाना कि किस तरह इतिहासकार, पुरातत्वविद् और संरक्षणवादी किले जैसी धरोहरों को संजोने में जुटे हुए हैं। विरासत संरक्षण की इस प्रक्रिया से छात्रों ने इस बात को समझा कि इतिहास को संरक्षित करने के प्रयासों में कितनी चुनौतियाँ और कितना समर्पण होता है।
प्रधानाचार्य ने भ्रमण की सराहना करते हुए कहा, “इस तरह के शैक्षिक भ्रमण से छात्रों को वास्तविक ज्ञान की अनुभूति होती है और उनकी शिक्षा के प्रति रुचि भी बढ़ती है। हमारा विद्यालय छात्रों के शैक्षणिक विकास के लिए ऐसे अनेक शैक्षिक भ्रमण आयोजित करता रहता है।”
लाल किले की यह यात्रा छात्रों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव सिद्ध हुई, जिसने न केवल उनके ज्ञान को समृद्ध किया बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत के प्रति जुड़ाव को भी गहरा किया।