योग और स्वास्थ्य, कटिशक्ति विकासक एक्सरसाइज बता रहे हैं, योग गुरु ऋषि वशिष्ठ
☀ योग और स्वास्थ्य ☀
कटिशक्ति विकासक
क्रिया नं. 5
स्थिति- स्वयं को सम अवस्था में रखते हुए खड़े हो।
विधि-
दोनों पैरों में एक हाथ का अंतर रखकर सीधे खड़े हों।
दोनों हाथों को कंधों के सामने करतल भाग एक-दूसरे के सामने रखते हुए जमीन से समानांतर फैलाएँ तथा हाथों को कंधों के बराबर रखते हुए उँगलियों को आपस में सटाएँ। श्वास को निकालते हुए बाएँ हाथ को बाई ओर जमीन से समानांतर रखते हुए अर्थचक्राकार पीछे की ओर ले जाएँ, दाहिने हाथ को कोहनी से मोड़कर दाहिनी हथेली को बाएँ कंधे तक लाएँ और बाएँ हाथ के अँगूठे को पीछे देखें। श्वास को लेते हुए दोनों हाथों को पूर्व स्थिति में लाएँ, पुनः श्वास को बाहर करते हुए दाहिने हाथ को दाहिनी ओर अर्धचक्राकार जमीन से समानांतर पीछे की ओर ले जाएँ तथा बाएँ हाथ को कोहनी से मोड़कर दाहिने कंधे के समीप लाएँ, दाहिने हाथ के अंगूठे को पीछे देखें। श्वास लेते हुए दोनों हाथों को पूर्व स्थिति में लाएँ, क्रिया को 10 बार करें।
क्रिया संख्या -1 से 5 तक के लाभ-
1 – इन क्रियाओं के अभ्यास से कमर सुंदर सुडौल और पतली होती है तथा लचीली बनती है।
2 – इन क्रियाओं के करने से कमर के दर्द मिटते हैं और कमर पुष्ट हो कर खिलाड़ियों के लिए उपयोगी साबित होती है।
3 – इनके करने से,शरीर कांतियुक्त , शक्तिवर्धक और फुर्तीला बनता है।
4 – ये सभी क्रियाएं विद्यार्थियों के लिए ,उम्र के प्रथम 20 वर्ष तक , लंबाई बढ़ाने में सहायता करती है।
☀ऋषि वशिष्ठ ☀
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