योग और स्वास्थ्य : कटि-शक्ति-विकासक क्रिया नं. 3, बता रहे हैं योग गुरु ऋषि वशिष्ठ
☀ योग और स्वास्थ्य ☀
कटि-शक्ति-विकासक क्रिया नं. 3
स्थिति-
दोनों पैरों में चार उँगुल का अंतर रखते हुए खड़े हो।
क्रिया विधि –
करतल भाग अंदर रखते हुए जंघा से सटाएँ, श्वास को लेते हुए गर्दन और कमर को ऊपर की तरफ खींचते हुए अधिक से अधिक पीछे की ओर झुकाएँ तथा ऊपर देखें , अब श्वास को छोड़कर सिर को आगे ले और शरीर का भार संहालते हुए घुटने तक लाने का प्रयास करें, नेत्र खुले रखें। दोनों हाथों को पीठ की ओर तानें, क्रिया को जल्दी-जल्दी 10 बार करें।
लाभ-
1. इन क्रियाओं के अभ्यास से कमर सुंदर सुडौल और पतली होती है तथा लचीली बनती है।
2. कमर के दर्द मिटते हैं, कमर पुष्ट बनकर नृत्य कलाकारों के लिए उपयोगी है।
3. शरीर कांतियुक्त और फुर्तीला बनता है।
4. उम्र के प्रथम 20 वर्ष तक साधक की लंबाई बढ़ती है।
☀ऋषि वशिष्ठ ☀
☀ विशेषज्ञ ☀
☀योग एवम ज्योतिष☀
☀सम्पर्क सूत्र –
9259257034 ☀