योग और स्वास्थ्य: कटि-शक्ति-विकासक, बता रहे हैं योग गुरु ऋषि वशिष्ठ
☀ योग और स्वास्थ्य ☀
कटि-शक्ति-विकासक
क्रिया नं.- 2
स्थिति-
समावस्था में खड़े रहेंगे।
विधि-
दोनों पैरों को यथाशक्ति फैलाएँ, अँगूठा पेट की ओर रखते हुए हाथों को कमर पर स्थापित करें, श्वास अंदर भरते हुए गर्दन कमर को अधिक से अधिक पीछे झुकाएँ, ऊपर देखें श्वास को छोड़कर सिर को अधिक से अधिक नीचे लाएँ ।
क्रिया तीन बार करें, तीसरी बार क्रिया करते समय दोनों हाथों को जमीन पर टिकाएँ और सिर को जमीन पर टिकाने का प्रयास करें। सिर टिकाकर हाथों को कमर पर रखें। यथाशक्ति रुकें। तत्पश्चात् हाथ के सहारे उछल कर पूर्व स्थिति में आएँ।
लाभ-
1. इन क्रियाओं के अभ्यास से कमर सुंदर सुडौल और पतली होती है तथा लचीली बनती है।
2. कमर के दर्द मिटते हैं, कमर पुष्ट बनकर नृत्य कलाकारों के लिए उपयोगी है।
3. शरीर कांतियुक्त और फुर्तीला बनता है।
4. उम्र के प्रथम 20 वर्ष तक साधक की लंबाई बढ़ती है।
☀ऋषि वशिष्ठ ☀
☀ विशेषज्ञ ☀
☀योग एवम ज्योतिष☀
☀सम्पर्क सूत्र –
9259257034 ☀