वर्ष 2024 में, दीपोत्सव 5 नहीं, 6 दिन का, जानिए धनतेरस और दीपावली के शुभ मुहूर्त, पूजन विधि बता रहे हैं ज्योतिष गुरु ऋषि वशिष्ठ
☀ वर्ष 2024 में, दीपोत्सव 5 नहीं, 6 दिन का:☀
इस बार दीपावली की तारीख को लेकर पंचांग में भेद हैं। इन मतभेदों को दूर करने के लिए देशभर में ज्योतिषियों और धर्म के विद्वानों ने अलग-अलग जगहों पर कई बार मीटिंग्स की हैं। इन मीटिंग्स के बाद अधिकतर ज्योतिषियों ने ये कहा है कि दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनाना ज्यादा शुभ है।
मंगलवार, 29 अक्टूबर को धनतेरस के साथ दीपोत्सव शुरू रहा है। इस साल दीप पर्व 5 नहीं 6 दिन का रहेगा, क्योंकि कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को दो दिन रहेगी। 31 तारीख की रात लक्ष्मी पूजा, 1 नवंबर को स्नान-दान की अमावस्या, 2 को गोवर्धन पूजा और 3 को भाई दूज मनेगी।
☀ धनतेरस ☀
धनतेरस पर खरीदारी शुभ मानी जाती है।
इस दिन प्रदोष काल और स्थिर लग्न में मां लक्ष्मी, कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है।
कार्तिक त्रयोदशी तिथि आरंभः 29 अक्टूबर सुबह 10:31 बजे से
कार्तिक त्रयोदशी तिथि का समापनः 30 अक्टूबर दोपहर 01: 15 बजे
धनतेरस पूजा का मुहूर्तः शाम 6.33 से रात 8.13 बजे तक
(कुल पूजा अवधिः 01 घण्टा 40 मिनट)
धनतेरस पर प्रदोष काल का समयः शाम 5.39 बजे से रात 8.13 बजे तक
वृषभ लग्न (स्थिर लग्न): शाम 6.33 बजे से रात 8.29 बजे तक
धनतेरस खरीददारी का शुभ मुहूर्त :
धनतेरस के दिन त्रिपुष्कर योग बन रहा है, यह योग खरीदारी आदि कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।
पहला मुहूर्तः 29 अक्टूबर को सुबह 6.31 बजे से 10.31 बजे तक
दूसरा मुहूर्तः सुबह 11.42 बजे से 12.27 बजे तक
गोधूलि मुहूर्तः शाम 5.38 बजे से शाम 06.04 बजे तक
मां लक्ष्मी के मंत्र
ॐ धन्यायै नमः।
ॐ हिरण्मय्यै नमः।
ॐ लक्ष्म्यै नमः।
ॐ कमलायै नमः।
ॐ हरिवल्लभायै नमः।
कुबेर मंत्र
ॐ कुबेराय नमः।
ॐ धनदाय नमः।
ॐ श्रीमाते नमः।
ॐ यक्षेशाय नमः।
ॐ गुह्यकेश्वराय नमः।
धन्वंतरि मंत्र
ॐ धन्वन्तरये नमः॥
धनतेरस पूजा विधि
1.धनतेरस के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान ध्यान के बाद साफ वस्त्र पहनें, इसके बाद मंदिर की सफाई करें।
2. सूर्य देव को जल अर्पित करें, सभी देवताओं का ध्यान करें।
3. शाम को स्नान ध्यान के बाद प्रदोषकाल के शुभ मुहूर्त में चौकी पर मां लक्ष्मी, गणेश, भगवान धन्वंतरी और कुबेर जी की प्रतिमा को विराजमान करें।
4. दीपक जलाकर चंदन का तिलक लगाएं, फल फूल, मिठाई अर्पित करें, धूप, दीप, अगरबत्ती जलाएं।
5. इसके बाद सभी के मंत्रों का एक-एक माला जाप करें। कनकधारा स्तोत्र, धनवंतरी स्तोत्र, कुबेर की स्तुति पढ़ें और आरती गाएं।
6. लक्ष्मी यंत्र घर लाएं हैं तो उसकी पूजा करें, बाद में श्रद्धा अनुसार दान करें।
7. बाद में घर के बाहर यम दीप भी जलाएं, मान्यता है कि इससे घर के सदस्यों की अकाल मृत्यु नहीं होती है।
धनतेरस की शाम न करें ये गलती
धनतेरस पर सुख-समृद्धि और धन की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से माता लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। मान्यता है कि धनतेरस की शाम उन वस्तुओं को किसी को देने से बचें जो माता लक्ष्मी से जुड़ी हुई हैं। मान्यता है कि इन चीजों को किसी और को देने से घर की बरकत, सुख-शांति उसी के साथ चली जाती है। इसके कारण आपकी आर्थिक स्थिति भी प्रभावित होती है। मान्यता है कि धनतेरस पर प्रदोषकाल में धन या पैसा, झाड़ू, प्याज-लहसुन, नमक और चीनी किसी को नहीं देना चाहिए।
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