कला संगोष्ठी में भारत की सांस्कृतिक एकता का उत्सव, पद्मश्री रामदयाल शर्मा की उपस्थिति से सजी शाम
नई दिल्ली – 27 अक्टूबर 2024 को दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित ‘कला संकुल’ में संस्कार भारती की मासिक कला संगोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें भारतीय सांस्कृतिक विविधता के रंग बिखरे। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पद्मश्री से सम्मानित प्रसिद्ध नौटंकी कलाकार और गुरु रामदयाल शर्मा उपस्थित रहे, जिन्होंने नौटंकी के धार्मिक और भारतीयता से जुड़े पहलुओं पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम की शुरुआत विभिन्न राज्यों के लोकनृत्यों से हुई। सुश्री स्नेहा मुखर्जी और डॉ. प्रभा दुबे के समूह ने राजस्थानी, हरियाणवी और बंगाली लोकनृत्यों की मनमोहक प्रस्तुतियां दीं, जिसने दर्शकों को भारत की सांस्कृतिक धरोहर की झलक दिखाई।
अपने संबोधन में पद्मश्री रामदयाल शर्मा ने कहा कि नौटंकी मूल रूप से धार्मिकता और भारतीयता का प्रतीक है, जो समय के साथ पारसी थियेटर और फिल्मों के प्रभाव से बदल गई। उन्होंने कहा, “प्रारंभिक समय में यह कला स्वांग और भगत के रूप में प्रसिद्ध थी, जो भारतबोध को मंच पर जीवंत करती थी। यदि इसी प्रकार कला के माध्यम से नई पीढ़ी को ऐतिहासिक चरित्रों जैसे राजा हरीशचंद्र के बलिदान और सत्य की मिसाल दिखाई जाए, तो उनमें भारतीय संस्कृति के प्रति गहरा जुड़ाव विकसित होगा।”
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में कला शिक्षक, शोधार्थी और कला प्रेमी उपस्थित रहे। संचालन सुश्री गरिमा रानी ने किया और श्रुति सिंहा ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।
संस्कार भारती का ‘कला संकुल’ बना सांस्कृतिक केंद्र
दिल्ली का ‘कला संकुल’ पिछले कई वर्षों से कला संगोष्ठियों का आयोजन कर भारतीय संस्कृति के विभिन्न आयामों को मंच प्रदान करता आ रहा है। हर माह के अंतिम रविवार को यहाँ संगीत, नृत्य, साहित्य और चित्रकला जैसे विविध विषयों पर चर्चा होती है। इन संगोष्ठियों में पद्मश्री राम सुतार, रंजना गौहर, रमा वैद्यनाथन, पंडित चेतन जोशी, अभय सुपोरी, मीनू ठाकुर, और प्रो. चंदन चौबे जैसे प्रतिष्ठित कलाकारों की उपस्थिति कार्यक्रम की शोभा बढ़ाती रही है।