सुप्रीम कोर्ट में न्याय की देवी की मूर्ति में परिवर्तन पर बार एसोसिएशन की आपत्ति
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में दशकों बाद न्याय की देवी की मूर्ति में किए गए बदलावों को लेकर बार एसोसिएशन ने आपत्ति जताई है। बार एसोसिएशन ने एक प्रस्ताव पारित कर आरोप लगाया है कि इन परिवर्तनों से पहले उनके सदस्यों से किसी भी प्रकार का परामर्श नहीं किया गया।
न्याय की देवी की मूर्ति में हाल ही में कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए हैं, जिसमें प्रतिमा की आंखों पर बंधी पट्टी को हटा दिया गया है और एक हाथ में तलवार की जगह संविधान को थमाया गया है। बार एसोसिएशन ने कहा है कि यह बदलाव दर्शाते हैं कि भारत में कानून न तो केवल प्रतीकात्मक है और न ही दंडात्मक।
इस संबंध में पारित प्रस्ताव में बार एसोसिएशन ने स्पष्ट किया है कि हाल के बदलाव एकतरफा हैं और इन परिवर्तनों के दौरान उनके साथ किसी भी तरह की चर्चा नहीं की गई। उन्होंने सवाल उठाया कि जब यह बदलाव प्रस्तावित किए गए थे, तो इस पर उनके साथ बातचीत क्यों नहीं की गई।
बार एसोसिएशन का मानना है कि वे भी न्याय प्रशासन में समान हितधारक हैं, और ऐसे महत्वपूर्ण निर्णयों पर उनकी राय का ध्यान रखा जाना चाहिए। इस मुद्दे पर बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट से स्पष्टता मांगी है।