करवा चौथ का व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त

☀करवा चौथ का व्रत☀

करवा चौथ का व्रत: सौभाग्यवती महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है.

ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के बारे में भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को बताया था और भगवान शिव ने माता पार्वती को बताया था. करवा चौथ का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. करवा चौथ पर मुख्यतः भगवान गणेश, माता गौरी और चंद्रमा की पूजा की जाती है. इस बार करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर यानी कल रखा जाएगा.

करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा करके महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन में सुख शांति की कामना करती हैं और पति की लंबी आयु की प्रार्थना भी करती हैं.

करवा चौथ 2024:
करवा चौथ शुभ मुहूर्त :

करवा चौथ पर पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 20 अक्तूबर को शाम 5 बजकर 46 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। दिल्ली के समय के अनुसार 20 अक्तूबर को शाम 07 बजकर 53 मिनट पर करवा चौथ का चांद निकलेगा।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस त्योहार पर सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए उपवास रखती हैं। करवा चौथ का त्योहार विशेष रूप से पूरे उत्तर भारत में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। करवा चौथ पर सुहागिन महिलाएं सूर्योदय से पहले व्रत आरंभ कर देती हैं और रात को चांद के निकलने पर दर्शन पूजा-अर्चना करते हुए उपवास तोड़ती हैं।

करवा चौथ की शाम को सभी महिलाएं सोलह श्रृंगार करते हुए एक साथ एकत्रित होती हैं और चंद्रमा के निकलने से करीब 1 घंटे पहले भगवान शिव, माता पार्वती, गणेशजी और कार्तिकेय जी की पूजा करती हैं और करवा चौथ की कथा सुनती हैं। इसके बाद चांद के निकलने का इंतजार करते हैं और जैसे ही आसमान में चांद दिखाई देता है सुहागिन महिलाएं छलनी से अपने पति को देखती हैं और फिर चांद के दर्शन करते हुए अघ्य देकर पूजा संपन्न करती हैं।

करवा चौथ में सरगी का विशेष महत्व होता है। सरगी की परंपरा करवा चौथ के दिन पर सूर्य के निकलने के पहले निभाई जाती है। जो सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखती हैं उनकी सास सरगी तैयार करती हैं। सरगी की थाली में मिठाई, फल, मेवे, कपड़े, आभूषण और तरह-तरह के पकवान रहते हैं। करवा चौथ की रात को सुहागिन महिलाएं पूरे दिन उपवास रखते हुए चांद के निकलने पर दर्शन कर अर्घ्य अर्पित करती हैं और पति अपने हाथों से कुछ खिलाकर और पानी पिलाते हुए व्रत तोड़ती हैं।

इस साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत रविवार, 20 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 54 मिनट से हो रही है। इस तिथि का समापन अगले दिन 21 अक्तूबर को सुबह 04 :16 बजे होगी। ऐसे में उदया तिथि और चंद्रोदय के समय को देखते हुए करवा चौथ का व्रत रविवार को मनाया जाएगा। करवा चौथ पर पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 20 अक्तूबर को शाम 5 बजकर 46 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। दिल्ली के समय के अनुसार 20 अक्तूबर को शाम 07 बजकर 53 मिनट पर करवा चौथ का चांद निकलेगा।

करवा चौथ की पूजन विधि :

सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और पूजा घर की सफाई करें. फिर सास द्वारा दिया हुआ भोजन करें और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें. यह व्रत सूर्य अस्त होने के बाद चन्द्रमा के दर्शन करके ही खोलना चाहिए और बीच में जल भी नहीं पीना चाहिए. संध्या के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करें. इसमें करवे (करवा चौथ के लिए मिट्टी के कलश) रखें। पूजन-सामग्री में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर आदि थाली में रखें. दीपक में पर्याप्त मात्रा में घी रहना चाहिए, जिससे वह पूरे समय तक जलता रहे।

चन्द्रमा निकलने से लगभग एक घंटे पहले पूजा शुरू की जानी चाहिए. अच्छा हो कि परिवार की सभी महिलाएं साथ पूजा करें। पूजा के दौरान करवा चौथ कथा सुनें या सुनाएं।
चन्द्र दर्शन छलनी के द्वारा किया जाना चाहिए और साथ ही दर्शन के समय अर्घ्य के साथ चन्द्रमा की पूजा करनी चाहिए।
चन्द्र-दर्शन के बाद बहू थाली में मिष्ठान, फल, मेवे, रुपये आदि रखें और अपनी सास को देकर उनका आशीर्वाद ले और सास उसे अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दे।

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