उ.प्र. रेरा ने आवंटियों को शीघ्र धनराशि हस्तांतरण के लिए बैंक पोर्टल से जोड़ा
लखनऊ/गौतमबुद्धनगर: उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) ने आवंटियों को उनके लंबित धनराशि को शीघ्र हस्तांतरित करने के लिए एक नई डिजिटल पहल की शुरुआत की है। अब रेरा पोर्टल को एपीआई (एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) के माध्यम से बैंक पोर्टल से जोड़ा गया है, जिससे आवंटियों को न्यूनतम समय में उनकी धनराशि प्राप्त होगी।
इस नए सिस्टम के तहत, जब भी रेरा के बैंक खाते में कोई चेक या डिमांड ड्राफ्ट (डी.डी.) क्लीयर होता है, तो बैंक इसकी जानकारी अपने पोर्टल पर अपडेट करेगा, जो रियल टाइम बेस पर रेरा पोर्टल पर भी अपडेट हो जाएगी। जैसे ही क्लीयरेंस की सूचना पोर्टल पर दर्ज होगी, रेरा पोर्टल से आवंटियों को ऑटो-जेनरेटेड ई-मेल भेजा जाएगा, जिसमें शपथ-पत्र का प्रारूप संलग्न होगा।
आवंटी को निर्धारित प्रारूप में नोटराइज्ड शपथ-पत्र रेरा के लखनऊ या ग्रेटर नोएडा कार्यालय में जमा करना होगा। शपथ-पत्र प्राप्त होते ही आवंटियों के बैंक खाते में धनराशि आरटीजीएस के माध्यम से अंतरित कर दी जाएगी। धनराशि का अंतरण होते ही इसकी सूचना भी रेरा पोर्टल पर रियल टाइम में अपडेट हो जाएगी।
पूर्व में विद्यमान प्रक्रिया में, चेक या डी.डी. के क्लीयर होने के बाद शिकायतकर्ता को पंजीकृत डाक के माध्यम से सूचना भेजी जाती थी, जिससे धनराशि हस्तांतरण में अनावश्यक देरी होती थी। इस नई व्यवस्था से न केवल प्रक्रिया का समय घटाया गया है, बल्कि शिकायतकर्ताओं को तुरंत जानकारी भी प्राप्त होगी।
रेरा अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी ने इस निर्णय की जानकारी देते हुए कहा, “उ.प्र. रेरा आवंटियों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस नई एपीआई प्रणाली से अब शिकायतकर्ताओं को उनका हक जल्द से जल्द मिलेगा।” उन्होंने यह भी बताया कि यह नई प्रणाली न केवल प्रक्रिया को सरल बनाएगी, बल्कि धनराशि हस्तांतरण की मॉनिटरिंग भी सुचारू रूप से की जा सकेगी।
रेरा द्वारा जारी इस प्रक्रिया में आवंटियों से अपेक्षा की जा रही है कि वे समय पर अपना शपथ-पत्र रेरा कार्यालय में जमा करें, जिससे उनकी धनराशि न्यूनतम समय में उनके खाते में हस्तांतरित हो सके।
नवीन एस.ओ.पी के आधार पर अभी तक 46 आवंटियों को वसूली प्रमाण पत्र के माध्यम से वसूल की गई धनराशि/ प्रथम किश्त हस्तांतरित करने की प्रक्रिया प्रारंभ की जा चुकी है।
(10 सितंबर 2024 को जारी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOP) के अनुसार यह नई व्यवस्था लागू की गई है।)