उ.प्र. रेरा द्वारा परियोजनाओं के क्यू.पी.आर. भरने की व्यवस्था में महत्वपूर्ण सुधारउ.प्र. रेरा द्वारा परियोजनाओं के क्यू.पी.आर. भरने की व्यवस्था में महत्वपूर्ण सुधार

  • • उ.प्र. रेरा द्वारा रियल एस्टेट परियोजनाओं के क्यू.पी.आर. फाइलिंग व्यवस्था को सरल तथा सुदृढ़ किया। 
  • • अब परियोजना की ओ.सी. या सी.सी. अपलोड होने की तिथि के बाद विलम्ब शुल्क नहीं लगाया जाएगा।
  •  • प्रोमोटर द्वारा समस्त क्यू.पी.आर. की फाइलिंग पूर्ण करने के बाद ही पंजीकरण विस्तार हेतु आवेदन किया जा सकेगा।
  • • क्यू.पी.आर. फाइलिंग में विलम्ब के लिए उन्हीं तिमाहियों को गणना में लिया जाएगा जिन का क्यू.पी.आर. नहीं फाइल किया गया है।
  •  • अगर परियोजना की कोई एक्टिविटी या समस्त एक्टिविटीज़ समय से पूरी कर ली जाती हैं, तो ‘एक्टिविटी 100%’ दर्शा दिया जाएगा।
  • • परियोजना की प्रकृति में परिवर्तन की दशा में परिवर्तन की तिथि से पहले भरे गये क्यू.पी.आर. सुरक्षित रहेंगे और इस अवधि के लिए विलम्ब शुल्क नहीं लगाया जाएगा।
  • • क्यू.पी.आर. के प्रत्येक पेज पर ’सेव एज़ ड्राफ्ट’ का विकल्प होगा ‘फाइनल सबमिशन’ से पहले प्रोमोटर के पास विवरणों में संशोधन का भी विकल्प होगा। फाइनल सबमिशन के पश्चात प्रोमोटर को ‘क्यू.पी.आर. सबमिटेड’ का मेसेज दिखायी देगा।

लखनऊ / गौतमबुद्धनगर: श्री संजय भूसरेड्डी, अध्यक्ष, उ.प्र. रेरा द्वारा दिनांकः 29-07-2024 को पंजीकृत परियोजनाओं के ऑनलाइन क्यू.पी.आर. फाइल करने के सम्बन्ध में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया गया। इस आदेश के बाद क्यू.पी.आर. भरने के सम्बन्ध में प्रोमोटर्स द्वारा व्यक्त की जा रही कतिपय जटिलताओं का समाधान हो जाएगा और उ.प्र. रेरा के पोर्टल से आवंटियों सहित जन-सामान्य को परियोजना से जुड़ी जानकारियां प्राप्त हो सकेंगी। यह आवंटी तथा प्रोमोटर दोनों के लिए अच्छी खबर है।

परियोजना की पूर्ण ओ.सी. या सी.सी. अपलोड होने की तिथि के बाद क्यू.पी.आर. का विलम्ब शुल्क नहीं लगाया जाएगा, भले ही पंजीकरण की अवधि शेष हो। अगर किसी तिमाही का क्यू.पी.आर. नहीं भरा गया है तो उस अवधि का क्यू.पी.आर. भरने के बाद ही वर्तमान क्यू.पी.आर. भरा जा सकेगा। परियोजना के लम्बित क्यू.पी.आर. भरने के पश्चात ही परियोजना के पंजीकरण विस्तार के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकेगा। जिस तिमाही का क्यू.पी.आर. नहीं भरा गया है, उसका क्यू.पी.आर. विलम्ब शुल्क जमा करने के पश्चात ही भरा जा सकता है। क्यू.पी.आर. न भरने की दशा में उन्हीं तिमाहियों को विलम्ब शुल्क के निर्धारण हेतु गणना में लिया जाएगा जिनका क्यू.पी.आर. नहीं भरा गया है। हालांकि अगर प्रोमोटर द्वारा विलम्ब शुल्क जमा करने के पश्चात भी भौतिक तथा वित्तीय क्यू.पी.आर. नहीं भरा जाता, तो सिस्टम द्वारा प्रोमोटर को ’एलर्ट’ भेजा जाएगा और अगर प्रोमोटर द्वारा एलर्ट के बाद भी क्यू.पी.आर. नहीं भरा जाता है, तो विलम्ब शुल्क पुनः आरोपित कर दिया जाएगा।

अगर किसी प्रोमोटर द्वारा परियोजना के पंजीकरण की तिथि से पहले की अवधि के भी त्रैमासिक लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं, तो परियोजना की पंजीकरण की तिथि से पूर्व की अवधि के लिए विलम्ब शुल्क नहीं लगाया जाएगा। अगर परियोजना का पंजीकरण समाप्त हो जाता है तथा पंजीकरण की अवधि का कोई क्यू.पी.आर. नहीं भरा गया है तो भी प्रोमोटर के लिए उस अवधि का क्यू.पी.आर. भरना अनिवार्य होगा। इस अवधि का क्यू.पी.आर. विलम्ब शुल्क जमा करके भरा जा सकेगा। परियोजना का पंजीकरण जिस त्रैमास के मध्य में समाप्त होता है, उस त्रैमास की समाप्ति पर क्यू.पी.आर. भरने के लिए 15 दिन का समय उपलब्ध होगा। परियोजना का कोई भौतिक लक्ष्य समय से पहले पूर्ण हो जाने पर उस एक्टिविटी को ’100% पूर्ण’ दर्शाया जाएगा और अगर समस्त एक्टिविटीज़ समय से पहले पूरी कर ली जाती है, तो भी एक्टिविटी ’100% पूर्ण’ दर्शाया जाएगा।

कोई परियोजना लैप्स हो जाती है, परन्तु लक्ष्य अवशेष रह जाते हैं, तो सिस्टम द्वारा पंजीकरण विस्तार मिलने के पश्चात् ही एक्सटेन्डेड टार्गेट सृजित किए जाएंगे और प्रोमोटर को क्यू.पी.आर. भरने की सुविधा उपलब्ध होगी। ऐसे मामलो में प्रोमोटर द्वारा विस्तारित अवधि के संशोधित वित्तीय लक्ष्य पुनः निर्धारित किए जायेंगे।  प्रोमोटर्स द्वारा कुछ मामलों में आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद परियोजना की प्रकृति में परिवर्तन कराया जाता है। उदाहरण स्वरूप ‘प्लाटेड से विला’ या ‘प्लाटेड से एपार्टमेन्ट’ कर दिया जाता है। इन परिस्थितियों में परियोजना की प्रकृति में परिवर्तन की तिथि से पूर्व जिस अवधि की तिमाही प्रगति भरी गयी होगी, उसे पोर्टल पर सुरक्षित रखा जाएगा और उस अवधि के लिए विलम्ब शुल्क लगाया जाएगा।

उ.प्र. रेरा द्वारा परियोजना के क्यू.पी.आर. भरने के सम्बन्ध में संशोधित व्यवस्था लागू करते समय इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि प्रोमोटर्स द्वारा क्यू.पी.आर. के विवरणों को भलीं-भांति सत्यापित करने के पश्चात ही पोर्टल पर अपलोड किया जाए। अतः क्यू.पी.आर. के प्रत्येक पेज पर ‘सेव बटन’ के स्थान पर ‘सेव ऐज़ ड्राफ्ट’ का विकल्प दिया जाएगा और अगर यह विकल्प चुनते समय कोई फील्ड नहीं भरी गयी होगी तो यह विकल्प चुनते समय सिस्टम द्वारा ‘एलर्ट’ भी दिया जाएगा। ‘सेव ऐज़ ड्राफ्ट’ के बाद ‘रिव्यू’ एण्ड ‘नेक्स्ट’ का विकल्प होगा। प्रोमोटर को ‘फाइनल सबमिशन’ से पहले क्यू.पी.आर. के डाटा में संशोधन का विकल्प उपलब्ध होगा। ‘फाइनल सबमिशन’ की बटन क्लिक करने के पश्चात् क्यू.पी.आर. फाइल हो जाएगा और प्रोमोटर को ‘क्यू.पी.आर. सबमिटेड’ का मेसेज दिखायी देगा।

क्यू.पी.आर. की फाइलिंग के सम्बन्ध में उ.प्र. रेरा का नवीन आदेश पोर्टल पर देखा जा सकता है। 
श्री संजय भूसरेड्डी द्वारा जानकारी दी गयी कि रेरा कानून के अनुसार प्रोमोटर द्वारा परियोजनाओं का क्यू.पी.आर. समय से तथा पूर्णता के साथ भरा जाना आवश्यक है। क्यू.पी.आर. से रेरा को, आवंटियों को तथा परियोजना में निवेश हेतु इच्छुक अन्य व्यक्तियों को परियोजना में कार्यों के वास्तविक प्रगति की जानकारी सुलभ होती है और रेरा के लिए भी परियोजनाओं की प्रगति के आंकलन तथा यथा आवश्यकता हस्तक्षेप करने में सुविधा होती है।

इन नये आदेशों को जारी करते समय इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि सिस्टम को उच्चीकृत करने के साथ-साथ सरल भी बनाया जाए। उनके द्वारा सभी प्रोमोटर्स से अपेक्षा की गयी कि परियोजनाओं का क्यू.पी.आर. समय से भरें तथा आवंटियों के प्रति अपने दायित्वों का पूरी निष्ठा से पालन करें।

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