गलगोटियास विश्वविद्यालय में दो दिवसीय “नवाचार और उद्यमिता प्रशिक्षण और अवलोकन-यात्रा” का हुआ शुभारम्भ
गलगोटियास विश्वविद्यालय में आज से एआईसीटीई के तहत भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा प्रायोजित एक परिवर्तन कारी दो-दिवसीय “नवाचार और उद्यमिता प्रशिक्षण और अवलोकन यात्रा का आयोजन का शुभारम्भ किया गया।
इस दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के व्यापक एजेंडे में महत्वपूर्ण विषय इस प्रकार से होंगे जिन पर विस्तार से चर्चा होगी जैसे:
🔹उद्यम पंजीकरण
🔹स्टार्टअप
🔹पिच डेक विकास
🔹बिजनेस मॉडल कैनवास निर्माण
🔹शिक्षा में नवाचार
🔹बौद्धिक संपदा अधिकार
इस गतिशील और ज्ञानवर्धक प्रशिक्षण कार्यक्रम में गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, शोभित इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, रघुनाथ गर्ल्स पोस्ट-ग्रेजुएट कॉलेज, टीका राम कन्या महाविद्यालय और एस.एस.वी.पी.जी कॉलेज सहित विभिन्न शिक्षण संस्थानों के दस सम्मानित संकाय सदस्य विशेष रूप से हिस्सा ले रहे हैं।
आज के पहले सत्र के मुख्य वक्ता — डॉ. वीके अरोड़ा जो आईजीडीटीयूडब्ल्यू अन्वेषण फाउंडेशन के सीईओ हैं। उनके भाषण का विषय–उद्यम पंजीकरण और प्रभावशाली पिच डेक था। उन्होंने अलग इकाई, विकसित सफल स्टार्ट-अप और स्टार्टअप के पेशे में प्रमुख कदम क्या उठाने चाहिए इसके बारे में विस्तार से चर्चा की। आज ही के दूसरे सत्र के प्रमुख वक्ता–श्री प्रवीण कपूर जो BeBOSS टेक्नोलॉजी के
सह-संस्थापक हैं। उन्होंने “बिजनेस मॉडल कैनवास की तैयारी” के विषय में विस्तार से बताया।
प्रतिभागियों को आज गलगोटियाज यूनिवर्सिटी की व्यापक सुविधाओं का अन्वेषण करने का अनूठा अवसर भी प्राप्त हुआ। जिसमें हर्बल गार्डन, इनक्यूबेशन सेंटर, मीडिया सेंटर, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, फैब्रिकेशन लैब, वर्मीकंपोस्टिंग यूनिट, एपिकल्चर सेंटर और ग्रीन/पॉली हाउस शामिल हैं, जिससे उनके शैक्षिक अनुभव और उनके अवलोकन करने की क्षमताओं में भी वृद्धि होगी।
इस अवसर पर गलगोटियास विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री सुनील गलगोटिया ने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिये सभी को बँधायी दी और सभी का उत्साह वर्धन करते हुए कहा कि रचनात्मकता उद्यमियों के लिए एक अपरिहार्य गुण है। यह विचार निर्माण, अवसर पहचान, समस्या समाधान, नवाचार और विभेदीकरण को प्रेरित करता है।
विश्वविद्यालय के सीईओ डा० ध्रुव गलगोटिया ने इस कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उद्यमिता को उद्यमियों द्वारा एक नया व्यवसाय शुरू करने और उसे प्रबंधित करने की कला कहा जा सकता है। उद्यमिता में अवसरों की पहचान करना, सोच-समझकर जोखिम उठाना और बाजार की बदलती मांगों को पूरा करने के लिए नए समाधान तैयार करना शामिल है।
गलगोटियास विश्वविद्यालय की डायरेक्टर ऑपरेशन आराधना गलगोटिया ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि रचनात्मक उद्यमी जोखिम को स्वीकार करते हैं, प्रभावी ढंग से संवाद करते हैं, और लगातार सीखते और अनुकूलन करते हैं।अपनी रचनात्मकता का उपयोग करके, उद्यमी चुनौतियों का सामना कर सकते हैं, अवसरों का लाभ उठा सकते हैं, नए समाधान बना सकते हैं और सफल और प्रभावशाली उद्यम बना सकते हैं।
गलगोटियास विश्वविद्यालय के वॉइस चॉसलर डा० के० मल्लिखार्जुन बाबू ने वहाँ पर उपस्थित सभी को सम्बोधित करते हुए कहा कि गलगोटियास विश्वविद्यालय को अब जल्द ही कोई नया उत्पाद बनाना है। आज हम सब यहाँ से ये प्रण लेकर जाये।
विश्वविद्यालय के प्रो० वॉइस चॉसलर डा० अवधेस कुमार ने कहा कि नवाचार और उद्यमिता पर हम सभी को नये से नये आईडियास और नयी से नयी सोच के साथ मिलकर काम करना है।
पूर्व कुलपति और कुलाधिपति की वर्तमान सलाहकार, डॉ. रेनू लूथरा ने प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करते हुए पुष्टि की कि उनके पास नई खोज करने और देश की प्रगति में योगदान देने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल हैं। उन्होंने पेटीएम, निरमा, उबर और सोनी जैसे उदाहरणों का हवाला देते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि नवाचार और उद्यमशीलता की भावना के बिना हमें वॉकमैन या ऑनलाइन भुगतान पेटीएम या कई अन्य चीजों के अलावा कार के मालिक होने के बिना कार किराए पर लेने की सेवाओं जैसी सफलताएं कभी नहीं मिल पातीं।
विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार नितिन गौड़ ने कहा कि इस निरंतर विकसित हो रही व्यावसायिक दुनिया में सफल होने के लिए उद्यमिता में रचनात्मकता और नवाचार की आवश्यकता है। डा० मीनाक्षी शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि उद्यमी, बाजार में मौजूद कमियों को पहचानने या लगातार बदलती ग्राहक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उद्यमिता में नवाचार का उपयोग करते हैं जिससे वो अपने ग्राहकों की नयी से नयी माँगों को पूरा कर पाते हैं।
कार्यक्रम का समापन डा० श्रद्धा सागर ने सभी का धन्यवाद करते हुए किया। इस कार्यक्रम में श्री कमल किशोर मल्होत्रा, डा० गौरव कुमार विशेष रूप से उपस्थित रहे।