Budget 2024 : वित्त मंत्री ने खोला रेलवे के लिए खजाना, साल में चार बार होंगी रेलवे भर्तियां

बीते कल यानी 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार का अंतरिम बजट पेश किया। जिसमें वर्ष 2030 तक रेलवे को लेकर कई घोषणाएं की। वित्त मंत्री ने अपने बजट के दौरान रेलवे को लेकर देश के सामने एक ब्लू प्रिंट रखा। जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में रेल यात्रियों के लिए रेल का सफर और सुविधाजनक होने वाला है। दरअसल, रेल यात्रा करते समय सबसे बड़ी दिक्कत यात्रियों को कंफर्म टिकट को लेकर होती है। देश के व्यस्तम रेल मार्गो दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई जैसे रूट्स पर आज भी कंफर्म टिकट जल्दी नहीं मिल पाती है। हालांकि, तत्काल टिकट की भी सुविधा उपलब्ध है लेकिन यह भी ऊंट के मुंह में जीरे की तरह ही है।

ऐसे में रेल यात्रियों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2030 मोदी सरकार रेल यात्रा के दौरान वेटिंग टिकट का झंझट खत्म करने वाली है। इसके लिए सरकार ने एक रोड मैप भी तैयार किया गया है। इस बजट के अनुसार, वर्ष 2030 तक करीब 1 हजार करोड़ लोगों को रेल यात्रा कराने का लक्ष्य रखा गया है। जिसके लिए रेल मंत्रालय ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, रेलवे 11 लाख करोड़ रुपए तीनों बड़े कॉरिडोर पर खर्च करने जा रही है। जिसमें एनर्जी इकॉनमी कॉरिडोर, रेल सागर और अमृत चतुर्भुज कॉरिडोर क्षमता को बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया ही। इस परियोजना में 40,900 किलोमीटर नया रेलमार्ग तैयार किया जाएगा। रेलवे आने वाले समय में रेल रूट्स का दोहरीकरण, तिहरीकरण करने जा रहा है जिसमें संभव है कि पांचवी रेल लाइन भी बिछाई जाएगी। बताते चलें कि आने वाले समय में रेलवे रूट्स जर्मनी में बिछाए गए रेल नेटवर्क के बराबर होने वाला है।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, इसी वर्ष के मार्च महीने से स्लीपर क्लास वाली वंदे भारत एक्सप्रेस का संचालन शुरू हो जाएगा। मिली जानकारी के अनुसार, स्लीपर वाली वंदे भारत एक्सप्रेस के 10 ट्रेन सेट बनकर तैयार हो गई है। बहुत जल्द ही इसका ट्रायल रन शुरू किया जाएगा। बता दें कि इन ट्रेन्स का संचालन लंबी दूरी के लिए किया जाएगा। जो वर्तमान में चल रही राजधानी ट्रेन्स की जगह लेंगी। ऐसा अनुमान है कि स्लीपर वाली वंदे भारत फिलहाल दिल्ली-कोलकाता व दिल्ली-मुंबई के बीच चलाई जाएंगी। रेल मंत्री ने प्रेस वार्ता में कहा कि इन ट्रेन्स में ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम (कवच) का भी प्रयोग किया गया है। उनजोने यह भी बताया कि पूरी दुनिया में इस तकनीक से 1990 में रेलवे ट्रैक को लैस कर लिया गया था। भारत में इसकी स्वीकृति 2016 में मिली।

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