संस्कार भारती’ दिल्ली प्रांत द्वारा ‘दिल्ली कला उत्सव’ की द्वितीय आवृत्ति का भव्य समापन समारोह संपन्न

  • समाज को भगवान् राम की मर्यादा समझने की आवश्यकता है: अभिजीत गोखले

नई दिल्ली 17 दिसंबर 2023: कला के माध्यम से भगवान् श्रीराम के जीवन-मूल्यों व आदर्शों का समाज में प्रसार हो, युवा पीढ़ी श्रीराम के और वंचित-निर्बल वर्ग को समुन्नत करके समरस समाज के निर्माण के शुभ-संकल्प से परिचित हो, इस उद्देश्य को ध्यान में रखकर संस्कार भारती, दिल्ली प्रांत द्वारा ‘दिल्ली कला उत्सव’ रवींद्र भवन में आयोजित किया गया। ‘समरसता के नायक राम’ को केंद्र में रखकर दिल्ली क्षेत्र के संगीत, नृत्य, गायन, नाट्य. चित्रकला व मूर्तिकला के प्रसिद्ध व उदीयमान कलाकारों ने अनुपम प्रस्तुतियाँ दीं।

संस्कार भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री अभिजीत गोखले, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिल्ली प्रान्त कार्यवाह भारत भूषण, संस्कार भारती के अखिल भारतीय महामंत्री अश्वनी दलवी, अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य अशोक तिवारी, प्रसिद्ध नृत्यांगना कमलिनी नलिनी, संस्कार भारती, दिल्ली प्रांत के कार्यकारी अध्यक्ष प्रभात कुमार की विशिष्ट उपस्थिति में गणमान्य कलाकारों, कलाप्रेमियों, युवाओं व स्कूली विद्यार्थियों ने उत्सव की प्रस्तुतियों का आनंद उठाया।

नटराज की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित करके ‘दिल्ली कला उत्सव’ का शुभारंभ हुआ। कार्यकारी अध्यक्ष प्रभात कुमार ने स्वागत वक्तव्य में कहा कि यह उत्सव दिल्लीवासियों में कला-संस्कृति के प्रति चेतना जाग्रत् करने का माध्यम है। साथ ही श्रीराम के समरस समाज की संकल्पना को कलापक्ष द्वारा उकेरने का विनम्र प्रयास है। इसी दृष्टि से सभी प्रस्तुतियों के केंद्र में श्रीराम हैं।

श्री अश्विन दलवी ने कहा कि कला अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त माध्यम है और दिल्ली में ऐसे आयोजन यहाँ के निवासियों की कलाधर्मिता और उत्सवप्रियता को रेखांकित करते हैं।

श्री भारत भूषण ने कहा कि ‘समरसता के नायक राम’ विषय आज सर्वाधिक प्रासंगिक है क्योंकि बिना किसी वर्गभेद के सब श्रीराम के आदर्शों के अनुसार समरस होकर जिएँ, यही आवश्यकता है।

विशेष रूप से आगामी 22 जनवरी 2024 में राम मंदिर के उद्घाटन के पावन अवसर की पूर्वपीठिका के संदर्भ में लगभग एक सौ चित्रकारों द्वारा श्रीराम और समरस समाज का चित्रण करती पेंटिंग्स और मूर्तिशिल्प की अद्वितीय प्रदर्शनी लगाई गई। सभी कला प्रस्तुतियों के माध्यम से श्रीराम के आदर्श और समतामूलक संदेश समाज में प्रसारित करने के लक्ष्य से आयोजित इस उत्सव में कला की पारंपरिक और लुप्तप्राय विधाएँ, यथा—कठपुतली, कुम्हार, बाइस्कोप, लोकनृत्य, लोकगायन की प्रस्तुतियों के साथ-साथ दिल्ली के प्रसिद्ध और स्वादिष्ट व्यंजनों के खान-पान के स्टॉल उत्सव का विशेष आकर्षण बने।

समापन समारोह को संबोधित करते हुए विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष श्री आलोक कुमार ने बताया कि 22 जनवरी, 2024 को नवनिर्मित श्रीराम मंदिर में श्रीराम के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर हर मंदिर को ही अयोध्या का श्रीराम मंदिर समझकर सब सनातनी अपने-अपने मंदिरों में जाकर इस अपूर्व दृश्य को देखें, जो पाँच सौ वर्षों के अनथक संघर्ष, साधना और तप का सुफल है।

इस अवसर पर डॉ. कीर्ति काले की अध्यक्षता में श्रीराम और समरसता पर केंद्रित कवि सम्मेलन में सर्वश्री राजेश अग्रवाल, अर्जुन सिसोदिया, राजेश चेतन, अनिल अग्रवंशी व बसंत जैन ने अपनी कविताओं से पूरे वातावरण को राममय कर दिया।

साहित्य अकादेमी, ललित कला अकादेमी व संगीत नाटक अकादेमी के सहयोग से आयोजित इस उत्सव में बड़ी संख्या में कलाप्रेमियों का उत्साह देखते ही बनता था।

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