आज के ही दिन गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा लोकतंत्र का मंदिर संसद भवन, जानिए कौन थे हमलावर

भारतीय लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन के लिए आज का दिन खास है। आज के ही दिन लोकतंत्र के इस मंदिर पर आतकंवादी हमला हुआ था। आतंकवादी अत्यध8 हथियारों से लैस अपनी गोलियों से अंधाधुंध गोलियां बरसा रहे थे। गोलियों की आवाज सुनकर संसद के अंदर और बाहर खलबली मच गई थी। अफरा-तफरी के माहौल में सब एक सुरक्षित जगह की ओर भाग रहे थे। जब तक सुरक्षा कर्मी इस हमले को समझ पाते, तब तक काफी देर हो चुकी थी। आइए जानते हैं कि 13 दिसंबर 2001 को आखिर हुआ क्या था:

हमले के वक़्त चल रहा था शीतकालीन सत्र,

दरअसल, हर रोज की तरह उस दिन भी संसद भवन में कार्यवाहियों का दौर चल रहा था। संसद भवन में शीतकालीन सत्र के दौरान महिला आरक्षण बिल पर बहस चल रही थी। विधेयक पर हंगामा होने के कारण संसद की दोनों लोकसभा और राज्यसभा को सुबह 11.02 पर स्थगित कर दिया गया था।

स्थगन के बाद संसद भवन से प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी और विपक्ष की नेता सोनिया गांधी सहित कई मंत्री संसद भवन से जा चुके थे। इसके बावजूद उस वक़्त देश के गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी, प्रमोद महाजन समेत कई मंत्री, सांसद और मीडिया से जुड़े हुए कुल 100 से भी ज्यादा वीआईपी संसद में मौजूद थे।

जब लोकतंत्र का मंदिर गूंजा गोलियों की तड़तड़ाहट से,

संसद की घड़ी 11.30 समय बता रही थी। उपराष्ट्रपति कृष्णकांत के सुरक्षा गार्ड उनके बाहर आने का इंतजार कर रहे थे। तभी गृह मंत्रालय का एक फर्जी स्टीकर लगी एक एम्बेसडर कार गेट नंबर 12 से सांसद भवन में प्रवेश करती है। कार में खतरनाक हथियारों से लैस पांच की संख्या में आंतकवादी सवार थे। जो उस दिन बेहद ही खतरनाक मंसूबे लेकर संसद भवन आए थे।

सुरक्षाकर्मियों ने मार गिराया आतंकियों को,

गेट नंबर 12 पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों को आतंकवादी चकमा देने में कामयाब जरूर हुए, लेकिन तुरंत ही सुरक्षा कर्मियों को शक होने पर उन्होंने कार का पीछा किया। तभी अचानक कार उपराष्ट्रपति कृष्णकांत की कार से टकरा जाती है। घबराए आतंकियों ने कार से बाहर निकलकर निहत्थे सुरक्षा कर्मियों पर AK47 जैसे हथियार से अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू की। इन आतंकियों के पास AK47, पिस्टल, हैंड ग्रेनेड और अन्य हथियारों का एक बड़ा जखीरा था।

संसद पर हुए इस हमले को सीआरपीएफ दिल्ली पुलिस के जवानों और अन्य सुरक्षा गार्डों की बहादुरी से इन आतंकियों को समय रहते मार गिराया गया। हमले में जिंदा पकड़े गए आतंकियों को फांसी की सजा दी गई।

कौन था हमले का मास्टरमाइंड,

सुरक्षाकर्मियों ने पलटवार करते हुए सभी पांच आतंकियों को मार गिराया। जिसमें हमजा, हैदर, राणा ,रणविजय और मोहम्मद के तौर पर हुआ। इस हमले की हमले जांच दिल्ली पुलिस ने किया और जांच के बाद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को पकड़ लिया। अफजल गुरु जैश ए मोहम्मद का आतंकी था। ये दिल्ली में रहकर आतंकियों को ट्रेनिंग देता था।

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