Guru Nanak Jayanti : देश मना रहा है नानक जी का जन्मोत्सव, जानें कौन थे सिख धर्म के पहले गुरु

आज गुरुनानक जयंती है, जिसे सिख धर्म के अनुयायी गुरुनानक जी के जन्मोत्सव के तौर मनाते हैं। इसी दिन को प्रकश पर्व या गुरुपर्व के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन सिख धर्म में पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन सिख भाई-बहन गुरुद्वारों में जाकर कीर्तन और गुरुग्रंथ साहिब का पाठ करते हैं। नानक जी सिख धर्म के पहले गुरु और संस्थापक थे। अभी तक सिख धर्म में कुल दस गुरु हुए और नानक देव जी पहले गुरु थे। इस वर्ष गुरुपर्व 27 नवंबर को मनाया जा रहा है। यह त्यौहार सिख समुदाय में बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। इस साल नानक जी की यह 551वीं जयंती है। यह त्यौहार कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष कि पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है।

गुरुनानक जी का जन्म पंजाब प्रा न्त के (पाकिस्तान) तलवंडी नामक जगह पर वर्ष 1469 ईस्वी में हुआ था। वर्तमान में इस जगह को ननकाना साहिब के नाम से भी जाना जाता है। गुरुनानक जी ने श्री करतारपुर साहिब गुरुद्वारे की नींव रखी थी, जो अब पाकिस्तान में है। यह जगह सिखों के लिए किसी तीर्थस्थल से कम नहीं है। इस जगह पर विश्व के कोने-कोने से सिख समुदाय के लोग अपनी अरदास मांगने आते हैं।

नानक जी ने अपने पूरे जीवन में छुआ-छूत, ऊंच-नीच, पाखंड, कट्टरता जैसी कुरीतियों का सदा ही विरोध किया है। उन्होंने अपने उपदेशों में बंधुत्व, सेवा और अच्छे कर्मों पर विशेष बल दिया है। उनका कहना था कि व्यक्ति अपने कर्मो से ऊँचा और नीच होता है। सेवा उनके जीवन में सर्वोपरि थी। भूखे को खाना खिलाना, जरुरत मंद की सेवा करना, ही सच्चा धर्म था। नानक जी कहते थे कि सेवा ही सच्चे धर्म की और ले जाती है।

गुरुनानक जी अपने जीवन में संत,गुरु और समाजसुधारक तीनों की भूमिका को निभाया है। सांसारिक मोह- माया से परे नानक जी ने जो संदेश दिए हैं, वो अपने आप में शब्दशः अनुकरणीय है। छुआ-छूत, ऊंच-नीच, जाति-पाति को नानकजी ने निराधार बताते हुए सदैव समाज को एक सूत्र में बांधने का ही प्रयास किया। अपना पूरा जीवन मानव जीवन के कल्याण के लिए समर्पित किया था।

गुरुनानक जी ने अपने पूरे जीवन काल में जो शिक्षाएं दी हैं, वो मानव जाति को खुशहाली की तरफ ले जाती है। नानक जी ने मुख्य रूप से तीन शिक्षाएं दी हैं, जिनमें ” नाम जपो, कीरत करो, वंड छको” प्रमुख हैं। ये शिक्षाएं मानव को अपने कर्मो में श्रेष्ठता लाने के लिए प्रेरित करती हैं।

 

 

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