अक्षय परियोजना के साथ भारत पूर्व से ही हिंदू राष्ट्र है : मोहन भागवत
ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय में आए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने प्रबुद्ध वर्ग को संबोधित किया। अपने संबोधन के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बताया कि भारत पूर्व से ही हिंदू राष्ट्र है, मोहन भागवत ने इस दौरान बताया कि स्वामी विवेकानंद कहा करते थे। हर एक व्यक्ति का जीवन का एक प्रयोजन होता है ,इस तरह सभी राष्ट्र का एक प्रयोजन होता है।
भारत देश का प्रयोजन अक्षय है,भारत की सनातन परंपरा बंधुत्व का है:-
आज वैश्विक परिदृश्य को देखें तब कई देशों में तनाव है। इस स्थिति में भारत को शक्तिशाली होना दुनिया की आवश्यकता है। पौराणिक भारतीय परंपरा को आज पूरा दुनिया मान रहा है। कोरोना काल में हम लोगों ने देखा कि हमारी दादी जो काढ़ा बनाया करती थी, आज पूरा दुनिया उसे अपना रहा है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को पूरा विश्व तवज्जो दे रहा है ,हमारे योग की परंपरा को आज दुनिया के सभी देशों के द्वारा मान्यता दी गई है। विविधताओं स्वीकार कर एक साथ समन्वय से चलना ही देश के तरक्की के रास्ते को प्रशस्त करेगा। अर्थ जीवन यापन के लिए बहुत ही आवश्यक है ,हम सभी भारतीय लक्ष्मी के उपासक हैं, गरीब के नहीं। हमें आर्थिक तंत्र को भी मजबूत रखना होगा।
आज वास्तविक धर्म क्या है, इसकी समझ स्पष्ट सभी को नहीं है:-
मोहन भागवत ने बताया कि हमारा कर्तव्य और स्वभाव ही धर्म है, बंधु भाव ही धर्म है। मोहन भागवत ने उदाहरण के साथ समझाया की स्वतंत्रता और समानता को एक साथ स्थापित आसानी से नहीं किया जा सकता है। स्वतंत्रता और समानता बंधु भाव के साथ ही संभव है।
तकनीक को लेकर मोहन भागवत के विचार:-
मोहन भागवत ने नवीन तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में भी चर्चा कि, परंतु उन्होंने बताया कि आज के समय में हमें उस उद्योग की आवश्यकता है ,जो लोगों के हाथों को काम दे, हमें विकेंद्रित उद्योग के तरफ ज्यादा ध्यान देना होगा ताकि हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार दे सकें और हर तकनीक जो रोजगार को खत्म कर रहा है या कर सकता है, हमें स्वीकार नहीं है। विकेंद्रित उत्पादन, न्याय वितरण, संयमित उपभोग देश की तरक्की को सुनिश्चित करेगा।
मोहन भागवत ने इस दौरान बताया कि हमारी सामानता की भाव की परंपरा पूर्व से ही रहा है और भारत समता मूलक समाज हजारों वर्षों से ही रहा है।