हरियाणा सरकार को हाई कोर्ट से लगा बड़ा झटका, जानिए क्या है मुद्दा
राज्य निवासियों को नौकरियों में 75% आरक्षण देने के फैसले को हाई कोर्ट ने सिरे से नकार दिया है। कोर्ट ने हरियाणा सरकार के कानून को रद्द क्र दिया है। हरियाणा सरकार के इस फैसले को फरीदाबाद और गुरुग्राम के उद्योगपतियों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट में उद्योगपतियों का कहना था कि राज्य के इस फैसले से उत्पादकता, कार्य की गुणवत्ता और रोजगार पर असर देखने को मिलेगा।
बताते चलें कि, हरियाणा में भाजपा और जननायक जनता पार्टी गठबंधन की सरकार है। ऐसे में जननायक जनता पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में राज्य में नौकरियों में 75% आरक्षण देने का वादा किया था। इसी के दबाव में भाजपा सरकार ने इस कानून को बनाया था। जननायक जनता पार्टी (JJP) राजस्थान में 25 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है। और राजस्थान में भी JJP यही वादा कर रही है।
क्या है ये रद्द कानून?
यह केवल हरियाणा राज्य में स्थित कई निजी कंपनियों, सोसायटी, ट्रस्ट, सीमित देयता भागीदारी फर्म, साझेदारी फर्म आदि में 10 या अधिक व्यक्तियों को रोजगार देने वाले 30,000 रुपये प्रति माह से कम वेतन वाली नौकरियों पर लागू है। हालांकि, 3 फरवरी, 2022 को हाई कोर्ट ने राज्य में कानून के लागू करने पर पर रोक लगा दी।
इसके बाद हरियाणा सरकार ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसने 17 फरवरी, 2022 को हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया और हाई कोर्ट को इस मुद्दे पर चार सप्ताह में फैसला करने का निर्देश दिया था। जिसके बाद दूसरी बार फैसला सुरक्षित रखने के बाद हाईकोर्ट ने आरक्षण देने वाले कानून को रद्द कर दिया है।