यमुना और अन्य नदियों का पानी आचमन लायक नहीं, छठ महापर्व नजदीक
आस्था का महापर्व छठ शुरू हो रहा है। 36 घंटे के निर्जला व्रत की शुरुआत 17 नवंबर को नहाय खाय के साथ शुरू होगा। 18 नवंबर को खरना की पूजा से होगी। 19 नवंबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा। छठ व्रत शुरू होने में तीन दिन शेष हैं, लेकिन अब तक जिले से गुजरने वाली दोनों नदियों के किनारे प्रशासन की तरफ से अब तक ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई है, जिससे छठ व्रतियों को किसी प्रकार की कोई सुविधा मिल सके।
बिहार और पूर्वांचल का यह महापर्व बेहद कठिन माना जाता है। इस महापर्व को स्त्री और पुरुष दोनों ही व्रत रहकर मनाते हैं। व्रती जल में खड़े होकर सूर्य की उपासना करते हैं। ऐसे मे दिल्ली और एनसीआर में रहने वाले व्रती यमुना और हरनंदी नदियों में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
हालांकि, युमना और अन्य नदियों की वर्तमान हालत बेहद ख़राब है। इस समय इन नदियों के जल से आचमन तक भी नहीं किया जा सकता है। छठव्रती जल में ही खड़े होकर अर्घ्य देते हैं और पारण भी करते हैं। ऐसे में इन नदियों की हालत संतोषजनक नहीं है।16-17 नवंबर में बेदी बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा।
जिससे नदी किनारे पूजा का स्थान सुनिश्चित किया जा सके। 20 नवंबर को उदीयमान भास्कर को अर्ध्य देने के बाद बेदी पर पूजा कर व्रत पारण किया जाएगा। व्रत शुरू किए जाने से पहले घाट बनाने के साथ वहां बेदी बनाने का कार्य किया जाता है। जिस करने के लिए श्रद्धालुओं ने स्वयं ही नदी किनारे सफाई का कार्य शुरू कर दिया गया है।