किसान पराली व फसल अवशेष को अपने खेतों में न जलाये, बनाएं डिकॉम्पोस्ट- राजीव कुमार, उप कृषि निदेशक
- पराली जलाने के बजाय पशुओं के लिए चारे में करें प्रयोग।
- खेत में ही डीकम्पोज करके कृषक कम्पोस्ट कर सकते हैं तैयार।
उप कृषि निदेशक गौतमबुद्धनगर राजीव कुमार ने जनपद के समस्त किसानों का आह्वान करते हुए जानकारी दी है कि कृषक पराली व फसल अवशेष को अपने खेतों में न जलाये। पराली जलाने के बजाय पशुओं के लिए चारे में प्रयोग करें या खेत में ही डीकम्पोज करके कम्पोस्ट तैयार की जाये, जिससे की मृदा की उर्वरा शक्ति को बढाया जा सके।
उन्होंने बताया कि कृषि विभाग जनपद गौतमबुद्धनगर द्वारा संचालित प्रमोशन आफ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन फॉर इन सीटू मैनेजमेन्ट ऑफ क्राप रेजीडयू योजना के तहत वर्ष 2023-24 में जनपद के समस्त प्रभारी राजकीय कृषि बीज भण्डारों को बायोडिकम्पोजर प्राप्त कराया जा चुका है, जिसकी कुल सं0 9000 है, जिन्हें जनपद के कृषकों को निःशुल्क वितरण कराया जा रहा है। बायोडिकम्पोजर का उपयोग पराली / फसल अवशेष को कम्पोस्ट बनाकर कृषक अपने खेत में अथवा सामुदायिक स्थलों पर उचित क्षमता वाले कम्पोस्ट खाद के गढ्ढे का ख़ुदान कर इसको तैयार कर सकते है।
बायोडिकम्पोजर को तैयार करने की विधि के लिए देखें बिंदुवार।
1. 150 ग्रा0 गुड लें और 5 ली0 पानी में मिलाए, इसके उपरान्त सम्पूर्ण मिश्रण को अच्छी तरह से उबालें और उसके ऊपर से सारी गंदगी को उतार कर फेंक दें।
2. मिश्रण को एक चौकोर बर्तन, जैसे कि ट्रे या टब में ठंडा होने के लिए रख दे, इसके बाद मिश्रण को हल्का गुनगुना होने के बाद मिश्रण में 50 ग्रा० बेसन मिला दें।
3. कैप्सूल को तोडकर लकड़ी से अच्छी तरह से मिला दें, जिससे की कैप्सूल अच्छी तरह से पानी में मिल जाये।
4. ट्रे या टब को एक सामान्य तापमान पर रख दें, उसके ऊपर एक साफ कपड़ा रख दें, जिससे की उसके ऊपर गंदगी जमा न होने पाये।
5. इस मिश्रण को अब 2 दिन तक न हिलाए, 2 दिन बाद ट्रे या टब में एक मलाई जमने लग जाएगी, इसके ऊपर आपको अलग-अलग रंग के जाले दिखेंगे।
6. 10 दिन में आपका कल्चर तैयार हो जाएगा। मिश्रण को अच्छी तरह से मिलाकर एक टन कृषि अवशेष में प्रयोग करें।