नौ देवियों की चैतन्य झांकी ऑमीक्रान-1 में
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के ऑमीक्रान वन एवं अल्फा दो सेवाकेन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में ऑमीक्रान वन, डी 124 स्थल पर नौ दिवसीय नौ देवियों की चैतन्य नवदुर्गा झांकी 15 अक्टूबर सायं 6 बजे से आरम्भ की गयी। सेवा केंद्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी अनीता बहन ने बताया कि यह झांकी पूर्णतया निशुल्क होगी जो 23 अक्टूबर तक प्रतिदिन शाम 6 से रात 9 बजे तक चलेगी।
चैतन्य झांकी में मां सरस्वती, मां लक्ष्मी, मां काली, मां दुर्गा, मां संतोषी, मां चंद्रघंटा, मां वैष्णो देवी, मां कुष्मांडा, मां सिद्धिदात्री की झांकी सजाई गयी हैं। इस अवसर पर झांकी स्थल पर नवरात्री के आध्यात्मिक रहस्य बताया जा रहा है साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जा रहा है। नवरात्री के आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए ब्रह्माकुमारी अमृता ने कहा कि मां की अष्ट भुजायें अर्थात परिस्थितयों से सामना करने की शक्ति दर्शाती है। रात्री शब्द अज्ञानता रूपी अंधकार को दर्शाती है जिसमें इन्सान काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईषा, द्वेष, नफरत, आलस्य से वशीभूत होकर आसुरी बन गया है और बुद्धि मंद अथवा नाश हो गयी है।
देवीयों को शिव शक्ति भी कहा जाता है। ऐसी अज्ञानतारूपी रात्रि में परमात्मा शिव ज्ञान सूर्य बन अवतरित होते है और बुद्धी रूपी कलष में ज्ञान रूपी घृत डालकर सबकी ज्योत जगाते है। इसलिए नवरात्री के शुरूआत में हम कलष में ज्योत जागाते हैं। ज्ञान ज्योत जगने से व परमात्मा शिव से राजयोग के माध्यम से सम्बन्ध जोड़ने से शक्तियों के जीवन में आने से मानव में सदगुणों, श्रद्धा और सदभाव जागृत होता है और आसुरी विकारों व दुर्गुणों का नाश हो जाता है। सच्ची नवरात्री तब ही होती है।