उ.प्र. रेरा की मध्यस्थता से आवंटी को निवेश राशि वापस मिली
उ.प्र. रेरा कंसिलिएशन फोरम ने प्रोमोटर ‘मेसर्स जतस्य प्रोमोटर्स प्रा.लि.’ की ग्रेटर नोएडा, गौतम बुद्ध नगर स्थित ‘स्काइटेक कलर ऐवन्यू’ परियोजना के एक आवंटी “श्री अजय कुमार गुप्ता” को निवेशित धनराशि वापस कराई तथा बैंक से जारी आवास ऋण का भुगतान भी सुनिश्चित कराया। नियामक प्राधिकरण के प्रयासों एवं मध्यस्थता से आवंटी को विलम्ब अवधि का ब्याज सहित निवेश राशि प्राप्त हुई तथा बैंक से जारी आवास ऋण की देनदारी से छुटकारा मिला। प्रोमोटर की उक्त परियोजना में निर्माण तथा विकास कार्य वर्षों से अवरुद्ध है जिसके कारण आवंटी ने धनराशि वापस दिलाने और लोन की राशि बैंक को चुकाने के मांग की थी।
कंसिलिएशन फोरम की मध्यस्थता से दोनों पक्षों के मध्य हुए समझौते के अनुसार आवंटी द्वारा निवेशित धनराशि तथा बैंक से जारी आवास ऋण की राशि मिलकर कुल रुपये 17 लाख 50 हजार प्रोमोटर द्वारा वासप किया जाएगा। इसमे से लगभग रुपये 8 लाख 30 हजार बैंक को भुगतान करके आवास ऋण चुकाया जाएगा जबकि शेष रुपये 9 लाख 20 हजार आवंटी को प्राप्त होंगे। इस संबन्ध में उभयपक्ष द्वारा हस्ताक्षरित समझौतानामा नियामक प्राधिकरण में उपलब्ध कर दिया गया है। कंसिलिएशन फोरम द्वारा विवाद का समाधान होने से सन्तुष्ट आवंटी ने उ.प्र. रेरा के प्रयासों की सराहना की।
‘एग्रीमेन्ट फॉर सेल’ के अनुसार आवंटी ने प्रोमोटर की परियोजना में जनवरी 2014 में एक इकाई बुक की थी। लगभग रुपये 23 लाख की लागत वाले इकाई के लिए आवंटी ने लगभग रुपये 2 लाख 25 हजार स्वयं से तथा बैंक के माध्यम से रुपये 7 लाख 15 हजार का भुगतान कर दिया था। इकाई का कब्जा जुलाई 2019 में प्राप्त होना था। लेकिन तय समय तक इकाई का कब्जा न मिलने, अंतिम मांग राशि तथा विलंबित अवधि के ब्याज का समाधान न प्राप्त होने पर आवंटी ने 2021 में उ.प्र. रेरा में शिकायत (GAU212202010316) दर्ज करके कन्सिलीएशन फोरम के माध्यम से समाधान की मांग की थी।
कंसिलिएशन फोरम ने शुल्कों की गणना करते हुए आवंटी की मांग के अनुसार प्रोमोटर को प्रस्ताव प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। प्रोमोटर से प्राप्त प्रस्ताव का आवंटी ने अवलोकन कर अपनी सहमति दी थी जिसके उपरान्त दोनों पक्षों ने समझौता कर विवाद समाप्त कर लिया और समझौते की एक प्रति क्षेत्रीय कार्यालय, उ.प्र. रेरा में जमा करवा दी।
उ.प्र. रेरा की विभिन्न पीठों और कन्सिलीएशन फोरम की सुनवाई के माध्यम से लगभग 8,100 से ज्यादा मामलों में लगभग रुपये 2,940 करोड़ की परिसंपत्तियों को विवाद मुक्त कराया गया है।