दिल्ली शराब घोटाला : केजरीवाल सरकार में हुआ दिल्ली को इतने करोड़ का घाटा, क्या है नशे का खेल ?
दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने साल 2021 में नई आबकारी नीति शुरू की। सरकार की तरफ से राजस्व में वृद्धि होने का दावा किया गया था।हालांकि, जुलाई 2022 में दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव ने आबकारी नीति में गड़बड़ी होने के संबंध में एक रिपोर्ट उपराज्यपाल वीके सक्सेना को सौंपी थी। इसमें नीति में गड़बड़ी होने के साथ ही तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया गया था।
रिपोर्ट के आधार पर एलजी ने की थी जांच की सिफारिश
इस रिपोर्ट के आधार पर उपराज्यपाल ने नई आबकारी नीति (2021-22) के क्रियान्वयन में नियमों के उल्लंघन और प्रक्रियात्मक खामियों का हवाला देकर 22 जुलाई 2022 को सीबीआइ जांच की सिफारिश की थी। इस पर सीबीआई ने प्राथमिकी की थी और सीबीआइ की प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।
फायदे का था दावा नीति से हुआ 144.36 करोड़ का नुकसान
सीबीआई और ईडी का आरोप है कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितता की गई थीं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया था। इसमें लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया था। इस नीति से सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
मामले में जांच की सिफारिश करने के बाद 30 जुलाई 2022 को दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को वापस लेते हुए पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी थी। घोटाले से जुड़े सीबीआइ और ईडी के मामले में मनीष सिसोदिया को निचली अदालत से लेकर हाई कोर्ट तक राहत नहीं मिली।