गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के जन संचार और मीडिया अध्ययन विभाग ने हर्षोल्लास से मनाया राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस
ग्रेटर नोएडा : “जनसंपर्क एक प्रबंधन कार्य है, जिसका उपयोग किसी संगठन के छवि निर्माण के लिए किया जाता है। दर्शकों मिल रही सही पहचान वास्तविक जनसंपर्क है”, छात्रों को राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस पर संबोधित करते हुए प्रो. बंदना पाण्डेय, अध्यक्ष, मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ ने जन संपर्क की महत्वपूर्ण संकल्पनाओं की चर्चा की ।
उन्होंने राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस कार्यक्रम के आरंभ के बारे में बताया कि 21 अप्रैल 1986 को श्री सी. वी. नरसिम्हा रेड्डी के आह्वान के बाद प्रतिवर्ष भारत में 21 अप्रैल को राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस हर्षोल्लास से मनाया जाता है। उन्होंने इस क्षेत्र से जुड़े विभिन्न कैरियर के अवसरों और चुनौतियों के बारे में भी विद्यार्थियों को अवगत कराया ।
श्री शिवानंद पाण्डेय, जनसंपर्क अधिकारी, राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद् (एनसीवीईटी) कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय, भारत सरकार, कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे। जनसंपर्क के क्षेत्र में काम करने का 10 साल का अनुभव साझा करते हुए उन्होंने जनसंपर्क में आने वाली चुनौतियों एवं सरकार के साथ-साथ कॉर्पोरेट क्षेत्र में जनसंपर्क की वर्तमान प्रवृत्तियों पर अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि जनसंपर्क का आधुनिक युग में लगभग 100 वर्षों का इतिहास है, लेकिन ऐसी गतिविधियां जिन्हें जनसंपर्क कहा जा सकता है, प्राचीन काल से लेकर अब तक दिखाई देती हैं। भारतीय ज्ञान परंपरा (आईकेएस) के आलोक में जनसंपर्क का पुनर्पाठ अभी बाकी है। हमारे शैक्षणिक संस्थाओं में किसी भी अध्ययन के उद्गम और विकास को परखते समय भारत के पहलू को अवश्य शामिल करना चाहिए, अन्यथा हमारे ज्ञान की मौलिकता प्रमाणित नहीं हो सकती। पीआर को असत्य का प्रचार मानने का विचार नकारात्मक है, आज के युग में पीआर न केवल बहुराष्ट्रीय कंपनियों बल्कि सरकारी संगठनों और यहां तक की स्टार्ट अप उद्यमों के लिए अनिवार्य कौशल है क्योंकि खुले बाजार में प्रतिस्पर्धा अत्यधिक है। संचार कौशल, समय प्रबंधन, ऑडियंस के मन की समझ और रचनात्मकता पीआर के लिए बहुत आवश्यक गुण हैं। पीआर वह सेतु है जो संगठन के सर्वोच्च नेतृत्व को शेष लोगों से गहराई से जोड़ता है।
कार्यक्रम में जनसंचार एवं मीडिया स्टडीज के विभागाध्यक्ष डॉ. ओम प्रकाश ने जनसंपर्क पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने 20 वीं शताब्दी में एडवर्ड बर्नेज के पीआर अभियान पर रोशनी डालते हुए, पीआर को एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में उद्धृत किया।
कार्यक्रम के अंत में जनसंचार एवं मीडिया के संकाय और छात्रों के समकक्ष एक परस्पर संवादात्मक सत्र रखा गया और उसके बाद धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यकम का समापन हुआ।