शारदा विश्वविद्यालय में वार्षिक सांस्कृतिक उत्सव – कोरस 2023 का शुभारंभ
नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय के कैंपस में आज से तीन दिन तक चलने वाले ’वार्षिक सांस्कृतिक उत्सव – कोरस 2023’ का आज शुभारंभ हो गया। इस साल की कोरस 2023 की थीम ’स्वरों की अनुभूति’ है जो हमारी सांस्कृतिक विविधता में समृद्धि के उत्सव का एक आर्दश समावेश है। उद्घाटन समारोह में भारतीय ओडिसी नर्तकी पद्मश्री गुरू गीता महालिक की प्रस्तुति से मौजूदा लोग मंत्र मुग्ध हो गए। इस फेस्ट में 70 से अधिक देशों के गणमान्य अतिथि, विश्वविद्यालय के फैकल्टी आदि शामिल रहे। इन तीन दिनों में 50 से अधिक आयोजन की जाऐगे जैसे में वाद विवाद, गेमिंग, रेगोली, स्टैंड अप कॉमेडी, नाटक, किक्रेट, नृत्य, संगीत, ओपन माइक, फैशन शो, रैप वॉर, अंदाज़ ए शायरी आदि।
इस फेस्ट में शारदा के अलावा एमिटी, गलगोटियास, जी एल बजाज, दिल्ली विश्वविद्यालय सहित अनेक अन्य दिल्ली एनसीआर के विभिन्न विश्वविद्यालय एंव कॉलेजों के हजारों छात्र छात्राएं ने हिस्सा लिया और इन तीन दिवसीय उत्सव में 1 लाख से अधिक छात्रों के आने की उम्मीद है। 11वें कोरस 2023 के फेस्ट की शुरूवात शारदा के प्रबंधन, वाइस चांसलर, स्कूलों के निदेशक द्वारा दीप प्रज्जवलित करके की गई।
छात्रों को संबोधित करते हुए शारदा स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के डीन डॉ परमानंद ने कहा कि शारदा अपने छात्रों को पढ़ाई के साथ साथ अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ाने के लिए इस प्रकार के आयोजन करता रहता है क्योकि शारदा अपने छात्रों की समावेशी विकास पर विश्वास रखता है। इस तरह के फेस्ट एक ऐसा मंच है जहां युवा अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते है और साथ साथ ही अन्य छात्रों से बहुत कुछ सीख पाते है।
शारदा विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल डिविजन के प्रेसिडेंट डॉ अशोक दरयानी ने कहा कि हमें छात्रों के बीच इस आयोजन के लिए उत्साह देखकर बहुत खुशी हो रही है। यह कार्यक्रम विभिन्न संस्थानों के प्रतिभागियों को एक साथ लाता है जिससे एक दूसरे के साथ ज्ञान विनिमय का मौका भी मिलता है।
षारदा विष्वविद्यालय के वाइस चांसलर डा सिबारम खरा ने तीन दिनों में होने वाली सभी गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
कार्यक्रम के दौरान शारदा इंटरनेशनल रिलेशन डिवीजन एंव डिपार्टमेंट स्टूटेंड वेलफेयर के द्वारा जी 20 ग्लोबल विलेज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न देशों के फूड स्टाल, कपड़े आदि के स्टाल से अपने देश की सांस्कृति का प्रदर्शन किया।