ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का स्थापना दिवस : 32 साल का हुआ ग्रेटर नोएडा, जानिए इसका सफरनामा

–नोएडा के विकल्प के रूप में रखी गई थी नींव, बन गया मुकम्मल शहर
–दुनियां भर में औद्योगिक शहर के रूप में बनाई अलग पहचान
–ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से खुलेंगे निवेश स्वरोजगार के द्वार
–रोड कनेक्टीविटी के मामले में भी बना एनसीआर में सबसे आगे

ग्रेटर नोएडा। आज ग्रेटर नोएडा 32 साल का हो गया है। इन 32 वर्षो में ग्रेटर नोएडा ने निरंतर प्रगति करते हुए दुनियां भर में एक अलग पहचान बनाई है। ग्रेटर नोएडा, न सिर्फ औद्योगिक निवेश के प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा है, बल्कि रिहायश और शिक्षा के क्षेत्र में भी बाकी शहरों से बहुत आगे निकल चुका है। सिर्फ हरियाली व चौड़ी सड़कें ही यहां की पहचान नहीं रही, बल्कि इससे आगे निकलकर डाटा सेंटर, इलेक्ट्रॉनिक्स मैनुफैक्चरिंग, टैक्सटाइल व रेडीमेड गारमेंट, ऑटोमोबाइल, व्हाइट गुड्स के क्षेत्र में खास मुकाम हासिल किया है। ग्रेटर नोएडा के सामने कुछ नई चुनौतियां हैं, जिनसे पार पाने के लिए कई तरह से प्रयास किए जा रहे हैं।

पानी में मिठास घोल रहा गंगाजल

ग्रेटर नोएडा ने साल 2022 में बड़ी उपलब्धि हासिल की। यहां की 10 लाख आबादी के लिए गंगाजल परियोजना का लोकार्पण किया गया। 85 क्यूसेक गंगाजल के जरिए ग्रेटर नोएडा के निवासियों को मीठा पानी पिलाने की शुरुआत कर दी गई। इसे चरणबद्ध तरीके से पूरे शहर में पहुंचाया जा रहा है। गंगाजल के आ जाने से भूजल दोहन भी कम हुआ है।इससे भूजल को बचाने में भी मदद मिलेगी।

रेल-रोड कनेक्टीविटी में सबसे आगे ग्रेटर नोएडा

रोड कनेक्टीविटी के मामले में ग्रेटर नोएडा सबसे बेहतर शहर कहा जाता है। यह शहर ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे, नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे, यमुना एक्सप्रेसवे से पहले ही जुड़ा हुआ है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे और एनएच-91 भी पास से गुजरे हैं। इसके साथ ही यहां की चौड़ी सड़कें अन्य शहरों से कहीं बेहतर हैं। वहीं, दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के बनने से रेल कनेक्टीविटी के मामले में भी ग्रेटर नोएडा अन्य औद्योगिक शहर से आगे निकल गया है। यहां से मुंबई के लिए माल ढुलाई भी बहुत जल्द आसान हो जाएगी।

मोबाइल, गारमेंट्स व डाटा सेंटर हब के रूप में बनी पहचान

वर्तमान समय में ग्रेटर नोएडा की पहचान मोबाइल निर्माता कंपनियों के हब के रूप में हो रही है। ओप्पो, वीवो व सैमक्वांग जैसी बड़ी कंपनियां यहां से मोबाइल उत्पाद बना रही हैं। देश ही नहीं, दुनियां भर में यहां के निर्मित मोबाइल व उनके उत्पाद निर्यात किए जाते हैं। इससे हजारों लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। ग्रेटर नोएडा टैक्सटाइल के प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा है। टैक्सटाइल व रेडीमेड गारमेंट्स से जुड़ी सैकड़ों कंपनियां ग्रेटर नोएडा से उत्पाद बनाकर विदेशों को निर्यात कर रही हैं। ये कंपनियां यहां के निवासियों के लिए, खासतौर पर महिलाओं के रोजगार का प्रमुख जरिया बनीं हुई हैं। देश का सबसे बड़ा डाटा सेंटर ग्रेटर नोएडा में बन रहा है। हीरानंदानी ग्रुप ने इसे बनाया है। बीते साल इसकी शुरुआत हो चुकी है। इस डाटा सेंटर से एक हजार युवाओं को रोजगार व 7000 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ है। इससे देश के नागरिकों का डाटा सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी। डाटा सेंटर क्षेत्र की कई और कंपनियां यहां अपनी इकाई स्थापित करने को आतुर हैं। इसके साथ ही इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र की बड़ी कंपनियां जैसे एलजी व हायर आदि भी ग्रेटर नोएडा में अपने उत्पाद बना रही हैं।

इंटीग्रेटेड टाउनशिप बनी सबसे स्मार्ट टाउनशिप

डीएमआईसी और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के संयुक्त उपक्रम इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप ग्रेटर नोएडा लिमिटेड (आईआईटीजीएनएल) की तरफ से करीब 750 एकड़ में इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप विकसित किया गया है। इस टाउनशिप में अब तक पांच छह कंपनियां अपना प्लांट भी लगा रही हैं। इनमें हायर इलेक्ट्रॉनिक्स, फॉर्मी मोबाइल, सत्कृति इंफोटेनमेंट, चेनफेंग (एलईडी कंपनी), जे. वर्ल्ड इलेक्ट्रॉनिक्स और गुरु अमरदास शामिल हैं। इसे कंपलीट स्मार्ट सिटी के तौर पर नियोजित किया गया है। उद्योगों की जरूरत के हिसाब से यहां प्लग एंड प्ले सिस्टम को अपनाया गया है। यह एक ऐसा शहर है, जिसमें आवंटन से पहले ही सभी सुविधाएं विकसित कर दी गई हैं। हर प्लॉट से कूड़ा पाइप के जरिए प्रोसेसिंग प्लांट तक पहुंचेगा। यहां का सर्विलांस सिस्टम पूर्णतया ऑटोमेशन पर काम करेगा।

मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट व लॉजिस्टिक हब

बोड़ाकी के पास प्रस्तावित मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक हब ग्रेटर नोएडा को नए मुकाम पर ले जाएंगे। इन दोनों परियोजनाओं के लिए आठ गांवों की जमीन ली जा रही है, जिनमें दादरी, जुनपत, चिटेहरा, कठहेड़ा, पल्ला, पाली, बोड़ाकी व थापखेड़ा शामिल हैं। करीब 478 हेक्टेयर जमीन पर ये दोनों प्रोजेक्ट विकसित किए जाएंगे। मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब के अंतर्गत रेलवे, बस अड्डा व मेट्रो कनेक्टिविटी विकसित की जाएगी। रेलवे टर्मिनल बोड़ाकी के पास ही बनाया जाएगा। यहां से पूरब की ओर जाने वाली अधिकतर ट्रेनें चलेंगी। इससे ग्रेटर नोएडा व आसपास के निवासियों को ट्रेन पकड़ने के लिए दिल्ली, नई दिल्ली और आनंद विहार टर्मिनल नहीं जाना पड़ेगा। ट्रांसपोर्ट हब में ही अंतर्राज्यीय बस अड्डा भी बनेगा। मौजूदा नोएडा-ग्रेनो मेट्रो रूट का विस्तार मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब तक होना है। ट्रांसपोर्ट हब से लोकल बसें भी चलाई जाएंगी। वहीं, लॉजिस्टिक हब से उद्योगों के लिए माल ढुलाई की राह आसान हो जाएगी। नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण के उद्योगों की जरूरत को देखते हुए यह परियोजना बेहद अहम है। मुंबई, गुजरात आदि जगहों पर जाने में चार से पांच दिन लगता है, इसके शुरू होने के बाद माल डेढ़ दिन में पहुंच सकेगा। लॉजिस्टिक हब में वेयर हाउस भी बनेंगे।

ई-ऑफिस से पेपर लेस बना ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ई ऑफिस में पहले ही तब्दील हो चुका है। प्राधिकरण में सिर्फ ई-फाइलें ही बनती हैं। अगर कोई फरियादी कागज पर अप्लीकेशन लाता है तो भी उसे स्कैन करके ई-फाइल बना दी जाती है। उसी पर वरिष्ठ अधिकारियों की तरफ से अप्रूवल दिए जाते हैं। प्राधिकरण पेपरलेस हो चुका है। इसके साथ ही वन मैप ग्रेटर नोएडा के जरिए आप ग्रेटर नोएडा में किसी प्रॉपर्टी की लोकेशन कंप्यूटर की एक क्लिप पर देख सकते हैं। शहर में रोड, सीवर-पानी की लाइन, मार्केट, मॉल या फिर पुलिस स्टेशन, इन सबका आसानी से पता लगाया जा सकता है। आम जनता से जुड़े रहने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्स एप के जरिए भी 24 घंटे जुड़ा हुआ है।

जीआईएस से रोड के रिपेयर पर निगरानी

ग्रेटर नोएडा की सड़कों को और बेहतर बनाए रखने के लिए प्राधिकरण ने जीआईएस मैपिंग कराई है। कौन सी रोड कब रिपेयर हुई है, कितने साल तक रोड को रिपेयर करने की जरूरत नहीं होगी, यह सब जीआईएस से पता चल जाता है। अगर कोई रोड तय समय से पहले टूटती है तो उस ठेकेदार से दोबारा उसी पैसे में रिपेयर कराया जाता है। हर सड़क पर रोटरी को विकसित करने में निजी भागीदारी भी काफी अहम रही है। कई रोटरी को निजी कंपनियों व संस्थाओं ने खुद से विकसित किया है।

नागरिक सुविधाओं पर विशेष फोकस

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी के निर्देश पर यहां के निवासियों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए प्राधिकरण कई मूलभूत सुविधाओं पर काम कर रहा है। मसलन, ग्रेटर नोएडा के सभी पुराने सामुदायिक केंद्रों को रिपेयर किया जा रहा है। जिन सेक्टरों में अब तक सामुदायिक केंद्र नहीं हैं वहां पर नए बनाए जा रहे हैं। इसी तरह गांवों में बरातघर बन रहे हैं। खेलों को बढ़ावा देने के लिए गांवों में खेल के मैदान विकसित किए जा रहे हैं। रोजमर्रा की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग सेक्टरों में वेडिंग जोन बनाए जा रहे हैं। यहां के गांवों को आदर्श ग्राम बनाने पर भी काम चल रहा है।

स्वच्छता व शहर को चमकाने पर भी जोर

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी ने ग्रेटर नोएडा को स्वच्छता के पहले पायदान पर लाने का बीड़ा उठाया है। इसके लिए कई तरह से प्रयास किए जा रहे हैं। सॉलिड वेस्ट और सीएंडडी वेस्ट के बाद अब ई वेस्ट को भी प्रोसेस कराने की प्रक्रिया शुरू करा दी है। यहां के नागरिकों को जागरूक करने के लिए लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। सड़कों के किनारे शौचालयों का निर्माण कराया जा रहा है। हर गांव व सेक्टर में स्थित प्रत्येक घरों से कूड़ा उठाने की योजना पर भी काम चल रहा है। ग्रेटर नोएडा की हरियाली को और बेहतर बनाने पर भी जोर है।

सीईओ का बयान :

“ग्रेटर नोएडा पहचान को और आगे ले जाने के लिए प्राधिकरण प्रयासरत है। ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट के जरिए ग्रेटर नोएडा में बड़े पैमाने पर निवेश व रोजगार के द्वार खुलेंगे। उद्योगों को भूखंड उपलब्ध कराने के लिए 8 नए सेक्टर विकसित किए जा रहे हैं। 2023 में इन सेक्टरों को विकसित कर आवंटित करने का लक्ष्य है। मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट व लॉजिस्टिक हब को धरातल पर उतारने की कोशिश की जाएगी। ग्रेटर नोएडा को स्वच्छता के पहले पायदान पर लाने के लिए प्राधिकरण के साथ ही हर नागरिक को अपना योगदान देना होगा।”

रितु माहेश्वरी, सीईओ ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण

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