गलगोटिया विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय कुलपति सम्मलेन का हुआ शुभांरभ
- तक्षशिला और नालंदा जैसे अग्रणी उच्च संस्थानों की विरासत को आगे बढ़ाने की जरूरत: उपराज्यपाल
भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) और गलगोटिया विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक 10 नवंबर, 2022 को दो दिवसीय अखिल भारतीय कुलपति सम्मेलन का भव्य शुभांरभ हुआ। जिसमें उत्तरी क्षेत्र स्थित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने शिरकत की। दिल्ली के उपराज्यपाल माननीय विनय कुमार सक्ससेना, एआईयू के अध्यक्ष प्रो० सुरंजन दास और गलगोटिया विश्वविद्यालय के माननीय कुलाधिपति सुनील गलगोटिया ने दीप प्रज्ज्वलन करते हुए सम्मलेन का शुभारम्भ किया। माननीय उपराज्यपाल ने सभागार को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के वर्तमान विश्वविद्यालय तक्षशिला और नालंदा जैसे अग्रणी उच्च संस्थानों की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। भारतीय शिक्षक महान आर्यभट, चाणक्य और रवींद्र नाथ टैगोर के उत्तराधिकारी हैं। भारत ने उच्च शिक्षा के लिए हमेशा ठोस कदम रखे हैं और साथ ही साथ आईआईटी, और एम्स जैसे नए उच्च संस्थान स्थापित किए हैं। गलगोटियाज विश्वविद्यालय के माननीय कुलाधिपति सुनील गलगोटिया और मुख्य कार्यकारी अधिकारी धु्रव गलगोटिया ने मुख्य अथिति को शॉल और स्मृति चिन्ह भेंट करते हुए सम्मानित किया। कुलाधिपति सुनील गलगोटिया ने सभी को संबोधित करते हुए (भारतीय विश्वविद्यालय संघ) और आये हुए शिक्षाविदों का आभार प्रकट किया।
इस सम्मलेन का विषय परिवर्तनकारी उच्च शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण करना है। जिसमे हिमाचल-प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, हरियाणा, पंजाब, उत्तर-प्रदेश और दिल्ली सहित उत्तरी क्षेत्र के लगभग १०० कुलपति व्यक्तिगत रूप से भाग लेकर अगले दो दिनों तक अंतर्राष्ट्रीय छात्र और संकाय गतिशीलता, अनुसन्धान और शिक्षण में अंतराष्ट्रीय सहयोग, विदेशों में भारतीय उच्च शिक्षा को बढ़ावा देना जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करेंगें। अंत में भारतीय विश्वविद्यालय संघ के समाचार पत्र का विशेष अंक का अनावरण किया गया। कार्यक्रम का संचालन भारतीय विश्वविद्यालय संघ की महासचिव डॉ० (श्रीमती) पंकज मित्तल ने किया। धन्यवाद ज्ञापन रजिस्ट्रार नितिन कुमार गौड़ ने दिया। इस दौरान भारतीय विश्वविद्यालयों के कुलपति, भारत सरकार के मंत्रालयों के अधिकारीगण, यूजीसी, एआईसीटीई, एनएएसी, आईसीएआर, और अन्य शीर्ष संस्थानों के अधिकारी और शिक्षा जगत के विशेषज्ञ मौजूद रहे।