ईशान आयुर्वेद कॉलेज में राष्ट्रीय आयुर्वेदा दिवस- 2022 मनाया गया
ईशान आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर, ग्रेटर नोएडा के प्रांगण में राष्ट्रीय आयुर्वेदा दिवस मनाया गया।
इस अवसर पर प्रात:कालीन वैदिक पद्धति के आधार पर हवन यज्ञ किया गया , संसथान के चैयरमेन डॉक्टर डी. के. गर्ग के निर्देशन में वैदिक यज्ञ का आयोजन किया गया , जिसमे संस्थान के सभी डिपार्टमेंट के प्राचार्य , फैकल्टी, कर्मचारीगण एंड छात्र-छात्राये मौजूद थे।
इस समारोह में भारत सरकार के भूतपूर्व एडिशनल चीफ सेकेट्री डॉक्टर निवेदिता हंस (रिटायर्ड आईएएस) मुख्य अतिथि एवं श्री वी. एस. वर्मा (रिटायर्ड आईएफएस) – भूतपूर्व भारतीय राजदूत (कजाकिस्तान एवं ऑस्ट्रेलिया) ने समारोह की अध्यक्षता की | सर्वप्रथम सभी अतिथिगण, संसथान के चैयरमेन डॉ. डी के गर्ग, प्राचार्य डॉ. ऐ के शर्मा, CA तुषार आर्या (सीईओ -, ईशान ग्रुप), प्रोफेसर डॉ. जसविंद्र कौर आदि ने भगवान् धन्वंतरि की आराधना , द्वीप प्रज्वलित कर समारोह का उद्घाटन किया गया ।
स्वागत भाषण में संसथान के चैयरमेन डॉ. डी. के. गर्ग जी ने आयुर्वेदा के उपयोगिता पर जोर दिया और सभी को अपने वैदिक उपयोग में आयुर्वेदिक पदार्थो के उपयोग की बढ़ाने की सलाह दी | उन्होंने कहा की हम में पराधीन होकर अपने संस्कृति एवं प्राचीन कालीन चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद को भूल गए थे , परन्तु आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से पुनः हम अपनी परचित चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद को अपनाने लगे हैं ।
मुख्य अतिथि डॉ. निवेदिता ने कहा की कोरोना काल में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की ओर लोगों का रुझान बढ़ा और आयुर्वेदिक दवा का सेवन कर बहुत से रोगी ठीक हुए | उन्होंने कहा की मैं आयुर्वेदिक एक्सपर्ट तो नहीं हूँ , केरल राज्य के मूल्य निवासी होने के कारण मुझे ज्ञात है कि केरल राज्य में सुदुर्ग जगहों पर भी आयुर्वेद पद्धति का लोगों के प्रति रुझान है और देश – विदेश से पंचकर्मा ट्रीटमेंट के लिए लोग केरल राज्य जाते रहते हैं | आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट में कोई भी साइड-इफ़ेक्ट नहीं है और कम लागत में मरीज ठीक हो जातें हैं |
उन्होंने कहा कि आयुर्वेद के अलावा अन्य मॉडर्न पद्धति एलोपैथी में लोग बीमार पड़ने पर एंटीबेटिक का उपयोग करते हैं, लेकिन इसमें कई साइड इफ़ेक्ट हैं|
आज भी लोगों में जागरूकता नहीं होने के कारण बच्चे के जन्म के लिए सिजेरियन कराती हैं| जिसके बाद महिलाओं को अनेक समस्या झेलनी पड़ती है| भारत सरकार के प्रयास के कारण अनेक राज्यों में आयुर्वेद दवाओं के प्रति रुझान बढ़ा है और विभिन्न आयुर्वेद केन्द्रों पर लोग रोगो के इलाज के लिए जाते हैं | हमे आयुर्वेद के प्रसार के लिए स्वयं प्रयास करना चाहिए | उन्होंने संसथान के विगत वर्षो और कोरोना काल, उसके बाद के समय में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के प्रचार-प्रसार के लिए संस्थान की प्रशंसा की ।
अध्यक्षीय भाषण में श्री विद्या सागर वर्मा ने कहा की हम प्रतिदिन अपने किचन में आयुर्वेदिक पदार्थों का उपयोग करते है | आयुर्वेद वेद का ही हिस्सा है , यह ऋग्वेद का उपवेद है | आयुर्वेद कफ, पित्त, वात पर आधारित है | आयुर्वेद में चिकित्सा प्राकृतिक विद्धि से किया जाता है | आयुर्वेद में शरीर में उपजे कफ, पित्त , वात को ठीक कर स्वस्थ्य किया जाता है, हमे सात्विक भोजन करना चाहिए | जैसा भोजन वैसा मन | हमे आहार धार्मिक रीती से प्राप्त करना चाहिए | हमे स्वस्थ्य रहने के लिए धार्मिक विधि से अर्थ उपार्जन करना चाहिए | उपार्जित अर्थ को अच्छे कामनाओं को पूर्ण करने के लिए उपयोग करना चाहिए | स्वस्थ्य रहने के लिए समुचित निद्रा और व्यायाम- योग करना चाहिए | कोरोना काल एवं उसके बाद भी लोगों का रुझान आयुर्वेद के प्रति बढ़ा है |
इस अवसर पर ईशान आयुर्वेद हॉस्पिटल द्वारा फ्री स्वस्थ्य परीक्षण एवं आरोग्य मेला का आयोजन किया गया जिसमे देश के नामी- गिरामी आयुर्वेदिक फार्मेसी कंपनियों ने प्रतिभाग लिया |