WORLD DAIRY SUMMIT 2022 : डेयरी क्षेत्र में सहकारी संस्थाएं महिलाओं को बनाती हैं सशक्त : अमित शाह
WORLD DAIRY SUMMIT 2022 : ग्रेटर नोएडा, गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह विश्व डेयरी शिखर सम्मेलन में पहुंच कर दुग्ध उत्पादन से जुड़े लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत बसुधैव कुटुबकम की भावना के साथ आगे बढ़ रहा है। भारत दुग्ध उत्पादन में दुनिया का पहले देश है,एक दिन देश प्राकृतिक खेती(आर्गेनिक खेती) के क्षेक्ष में पहले स्थान पर होगा, जिसमें सहकारिता क्षेत्र की बहुत बड़ी भूमिका होगी। दुग्ध उत्पान में भारत आज आत्मनिर्भर के साथ निर्यात देश बना है तो उसमें लाखों छोटे व सीमांत क्षेत्र के किसानों का योगदान रहा है। विकास के क्षेत्र में 2014 से 2022 के आठ साल के खण्ड में भारत ग्याहवें नम्बर से पांचवें नम्बर पर छलांग लगाकर पहुंचा है, कुछ सालों मे भारत तीसरे नम्बर पहुंचेगा, जिसमें कोआपरेटिव का नाम जरुर शामिल होगा। मोदी सरकार ने जो सहकारिता बनाया है। आज भारत में सबसे ज्यादा प्रासंगकिता है तो डेयरी क्षेत्र में कांस्टीट्यूशन्स की है। सहकारिता संस्थानों की प्रासंगितकता में भारत का 130 साल पुराना इतिहास है। देश के प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक खेती के लिए आह्वान किया है। प्राकृतिक खेती में भारत विश्व में पहला देश एक दिन बनेगा। कोआपरेटिव के माध्यम से प्राकृतिक खेती हो रही है। प्राकृतिक खेती को डेयरी का प्राण बना दीजिए। हमारा लक्ष्य पैसा कमाना नहीं है, भारत स्वस्थ समृद्धि बनाना है। प्राकृतिक खेती के सर्टिफाई करने व विदेश में भेजने के लिए एक मेंच तैयार कर रहे हैं। इस महीने तक एक एक्सपोर्ट हाउस भी रजिस्टर कर रहे हैं। कोआपरेटिव के माध्यम से सम विकास का मंत्र है। भारत का कोआपरेटिव सिस्टम विश्व में कीर्तिमान स्थापित किया है। अमूल भारत का एक ऐसा सफल स्टोरी है, हम मानते हैं भारत के साथ विश्व का विकास होना चाहिए, पिछडे देशों का विकास होना चाहिए। अमूल कंपनी का 2020-21 में टर्न ओवर 60 हजार करोड़ हो गया है। आज 36 लाख किसान अमूल के साथ जुड़े हैं। वैश्विक दुग्ध उत्पादन में भारत 21 प्रतिशत हिस्सेदारी है। कई अच्छे ब्रांड देश में बने हैं। हमारा लक्ष्य हैं हम आगे जाएंगे। अमूल मॉडल ने कई लक्ष्य एक साथ सिद्ध किए हैं। गोबर से खाद, गोबर से गैस बनाने की प्रक्रिया कोआपरेटिव कर रहा है, गोबर बैंक काम कर रहा है। पूरे विश्व में सबसे अधिक 40 से प्रतिशत हमारे यहां 77 प्रतिशत किसानों के पास जाता है। एक करोड़ किसान कोआपरेटिव से जुड़े हैं। बनासकाठा की हवाई चप्पल पहने वाली एक महिला ने जब एक करोड़ 30 लाख का चेक लेने मेरे पास पहुंच सकती है तो और क्यों नहीं। गुजरात में ग्रामीण विकास हो या स्कूल का कमरा बनाना हो कोआपरेटिव के साथ काम हो रहा है। 2024 से चुनाव के पहले 2 लाख कोआपरेटिव बनाएंगे। भारत का वृद्धि दर दुग्ध उत्पादन में 6 प्रतिशत है जो दुनिया में सबसे अधिक है। कोआपरेटिव क्षेत्र को अपनाएं तो सारे लक्ष्य एक साथ सिद्ध हो सकते हैं। कोआपरेटिव सोसाइटी को ग्रामीण स्तर तक ले जा सकते हैं क्या। दूध को अन्य उत्पाद की प्रोसेसिगं की मशीन विदेश से लाते हैं, अगर इस क्षेत्र से जुड़े लोग आगे आएं तो मशीन की समस्या हल होगा, तभी देश का सम विकास होगा। हर गरीब देश को सस्ता दुग्ध उत्पान पहुंचाना भारत का लक्ष्य होना चाहिए। 2033-34 में अनुमानित आंकड़ा है 330 एमएमटी भारत के लिए कम पड़ेगा, सहकारी संस्थाएं अंतरराष्ट्रीय मार्केट में अपनी भूमिका निभाने के लिए सक्षम हैं। अंत में अमित शाह ने अंतरराष्ट्रीय डेरी संघ का आभार प्रकट किया।
UP | We will make 2 lakh more dairies before 2024 elections: Union Minister Amit Shah on International Dairy Federation World Dairy Summit 2022 in Greater Noida pic.twitter.com/tMSXmKa6XA
— ANI (@ANI) September 12, 2022
Uttar Pradesh | The cooperative institutions in the dairy sector empower women, and help in rural development at different levels: Union Home Minister Amit Shah addresses the International Dairy Federation World Dairy Summit 2022 in Greater Noida pic.twitter.com/mv2XZjGdTL
— ANI (@ANI) September 12, 2022
Greater Noida, UP | We're making 3 multi-state cooperative societies for certification, marketing & export of organic dairy products. Pilot project for that to be made by Amul, export house for that to be registered by end of the month: Union Minister Amit Shah pic.twitter.com/zOr0EEAXR8
— ANI (@ANI) September 12, 2022
बता दें आज सुबह ही वर्ल्ड डेरी समिट का पीएम मोदी ने उद्घाटन किया था ।अपने सम्बोधन में पीएम मोदी ने भी कहा था भारत का डेयरी कापरेटिव सिस्टम हमारे डेयरी सेक्टर की दूसरी विशेषता है। यह डेयरी कापरेटिव देश के दो लाख से ज्यादा गांवों में करीब दो करोड़ किसानों से दिन में दो बार दूध जमा करती है और उसे ग्राहकों तक पहुंचाती है। इस पूरी प्रक्रिया में कोई मिडिल मैन भी नहीं होता और ग्राहकों से जो पैसा मिलता है, उसका 70 प्रतिशत से ज्यादा सीधा किसानों की जेब में जाता है।